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|| फेग खाने का गीत ॥ (तर्ज--पहले तो केरे बनडी बाबासा की बेटी ।) पेले तो फेरे बनडी अरिहंत जी ने नमजो। दूजे तो फेरे बनडी सिद्ध जी ने नमजो। तीजे तो फेरे बनडी साह जी ने नमजो। चौथे तो फेरे बनडी दया धर्म ने नमजो। माता-पिता काका वीराजी ने बुलावो । मामाजी मामीजी सगला ही आवो । बनडी रो तो हथलेवो बेगो छुडावो। गायां रा गोकुल धन बहुत देयजो । पंडित ने दक्षिणा पूरी जो देयजो ।
बींद राजा को डेरे पर पहुँचाने के लिए
जाते वक्त बोलने का गीत (तर्ज-आलो-लीलो मरवो ने नवा छाजां छायो ।)
आलो लीलो मरवो ने नवा छाजां छायो, अपना हो शशीकला बाई जिस घर देशां ॥ राय उमरावाँ री होड़ मती करजो, थानी जोडी रो वर देखने दीनां ॥ सोलह वर्ष मारी बनडी रही ब्रह्मचारिणी, इनसुं वर मिलिया सुखकारी ॥ बीस वर्ष मारा बनडा रया
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