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जिठाणियां, दिवर-जिठाणियां, संप में रेसा, संप में रेसां, हिल-मिल रेसां, हिल-मिल रेसां, आनन्द करसां, अरे पेमा आनन्द करसां ॥१०॥
॥ नाच का गीत ॥
(तर्ज- रुणझुणियो ले) ढोल ऊपर मत नाचजो सारा बाईजी, कांई जिन थी जावे लाज हो भोजाई जी टेर। मोटी जात भारत तणी मारा बाईजी, कांई मुलकों में प्रसिद्ध हो भोजाई जी ॥१॥ खानदान. कुल आपनो मारा बाईजी, कांई दुनियां करे बखाण हो भोजाईजी ।।२।। ढोल बजे मैदान में मारा बाईजी, कांई रण के बाजे थाल हो भोजाई जी ॥३॥ छत्तीस कौम देखन मिले मारा बाई जी, कांई निरखे थारो नाच हो भोजाई जी ॥४॥ पेट उघडसी नाचतां मारा बाईजी, कांई झाला देतां हाथ हो भोजाईजी ॥५॥ घेरदार घूमे घाघरो मारा बाईजी, कांई कमर लचका खाय हो भोजाईजी ॥६॥ ढोली करे थांरी मसकरी, मारा बाईजी कांई डाको देवे चकाय हो भोजाई जी॥७॥ नाचन थाने कोई केवे मारा बाईजी, कोई आवे रीस अपार हो भोजाईजी॥८॥चवडे नाचो ढोल पर मारा बाईनी, नहीं आवे लाज लगार हो भोजाई जी ॥९॥ पहली पातरियां नाचती मारा बाई
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