Book Title: Sutrakritanga Sutram Part 04
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 728
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समयार्थबोधिनी टोका द्वि. श्रु. अ. ७ हिंसात्यागविषयक प्रश्नोत्तरच ७७ मूलम्-सवायं उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयम एवं वयासीआउसंतो गोयमा ! णत्थि णं से केइ परियाए जपणं समणोवासगस्स एगपाणाइवायविरए वि दंडे निक्खित्ते, कस्स णं तं हेडं ? संसारिया खलु पाणा, थावरा वि पाणा तसत्ताए पच्चायंति, तसा वि पाणा थावरत्ताए पच्चायंति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे तसकायंसि उववति, तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे थावरकायांस उववति, तेसिं च णं थावरकायंसि उववन्नाणं ठाणमेयं धत्तं । सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-णो खलु आउसो! उदगा अस्माकं वत्तव्वएणं तुभं चेव अणुप्पवादेणं, अत्थि णं से परियाए जे णं समणोवासगस्त सव्वपाणेहिं सव्वभूएहिं सबजीवहिं सबसत्तेहिं दंडे निक्खित्ते भवइ, कस्स गं तं हेउं ? संसारिया खलु पाणा, तसा वि पाणा थावरत्ताए पच्चायंति, थावरा वि पाणा तसत्ताए पच्चायंति, तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे थावरकायंसि उववज्जंति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा सव्वे तसकायंसि उववज्जंति, तेसिं च णं तसकायंसि उववन्नाणं ठाणमेयं अघत्तं, ते पाणा वि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चति, ते महाकाया ते चिरहिइया, ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवति, ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अप्पच्चक्खायं भवइ, से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवष्ट्रियस्स पडिविरयस्स जन्नं तुम्भे For Private And Personal Use Only

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