Book Title: Sutrakritanga Sutram Part 04
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
-
७२४
सूत्रकृतामसूत्र भुज्जयरो वा देसं दूईज्जित्ता अगारमावसेज्जा?, हंता वसेज्जा, तस्स गं तं गारत्थं वहमाणस्स से पच्चक्खाणे भंगे भवइ ?, णो इणहे समटे, एवमेव समणोवासगस्त वि तसेहिं पाहिं दंडे णिक्लित्ते, थावरेहिं दंडे णो णिक्खित्ते, तस्स णं तं थावरकायं वहमाणस्स से पच्चक्खाणे णो भंगे भवइ, से एवमायाणह ? णियंठा!, एवमायाणियव्वं । भगवं च णं उदाह णियंठा खलु पुच्छियव्वा-आउसंतो नियंठा! इह खलु गाहावइ वा गाहावइपुत्तो वा तहप्पगारेहिं कुलहिं आगम्म धम्मं सवणवत्तियं उवसंकमज्जा ? हंता उवसंकमज्जा, तेसिं च णं तहप्पगाराणं धम्मं आइक्खियवे?, हंता आइक्खियो, किं ते तहप्पगारं धम्म सोच्चा णिसम्म एवं वएज्जा-इणमेव निग्गंथं पावयणं सच्चं अणुत्तरं केवलियं पडिपुण्णं संसुद्धं णयाउयं सल्लकत्तणं सिद्धिमग्गं मुत्तिमग्गं निज्जाणमग्गं निव्वाणमग्गं अवितहमसंदिद्धं सबदक्खप्पहीणमग्गं, एत्थ ठिया जीवा सिझंति बुझंति मुञ्चति परिणिवायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेंति, तमाणाए तहा गच्छामो तहा चिट्ठामो तहा णिसियामो तहा तुयट्ठामो तहा भुंजामो तहा भासामो तहा अब्भुट्ठामो तहा उटाए उटामोति पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमामोत्ति वएज्जा? हता वएज्जा, किं ते तहप्पगारा कप्पंति पवावित्तए ?, हंता कप्पंति, किं ते तहप्पगारा कप्पंति मुंडावित्तए ?, हंता कप्पंति, किं ते तहप्पगारा कप्पंति सिक्खावित्तए ?, हंता कप्पति, किं ते तह. प्पगारा कप्पति उवहावित्तए?, हंता कप्पति, तेसिं च णं तहपगाराणं सव्वपाणहिँ जाव सबसत्तेहिं दंडे णिक्खित्ते ?, हंता मिक्खित्ते ?, से णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा जाव वासाई
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797