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श्रीस्थानाङ्ग
सूत्रदीपिका वृत्तिः ।
॥२६॥
विसाहा तह य होइ अणुराहा । जेट्टा भूलो पुव्वा य, आसाढा उत्तरा चेव ॥२॥ अभिईसवणधणिहा, सयभिसया दो य हुँति भद्दवया । रेवति अस्सिणि भरणी, णेयव्वा आणुपुव्वीए ॥३॥" एवं गाहाणुसारेण णेयव्व जाव दो भरणीओ । दो अग्गी दो पयावती दो सोमा दो रुद्दा दो अदिती दो बहस्सती दो सप्पी दो पीती दो भगा दो अज्जमा दो सविया दो तट्ठा दो वाऊ दो इंदग्गी दो मित्ता दो इंदा दो णिरती दो आऊ दो विस्सा दो बंभा दो विण्ह दो वसू दो वरुणा दो अया दो विविद्धी दो पुस्सा दो अस्सा दो जमा । दो इंगालगा दो वियालगा दो लोहितक्खा दो सणिस्सरा दो आहुणिया दो पाहुणिया दो कणा दो कणगा दो कणकणगा दो कणगविताणगा दो कणगसंताणगा दो सोमा दो साहिया दो आसासणा दो कज्जोवगा दो कब्बडगा दो अयकरगा दो दुंदुभगा दो संखा दो संखवन्ना दो संखवन्नाभा दो कसा दो कंसवन्ना दो कंसवन्नाभा दो रुप्पी दो रुप्पाभासा दो णीला दो णीलोभासा दो भासा दो भासरासी दो तिला दो तिलपुप्फवण्णा दो दगा दो दगपंचवन्ना दो काका दो कक्कंधा दो इंदग्गीवा दो धूमकेऊ दो हरी दो पिंगला दो बुद्धा दो सुक्का दो वहस्सती दो राहू दो अगत्थी दो माणवगा दो कासा दो फासा दो धुरा दो पमुहा दो वियडा दो विसंधी दो णियल्ला दो पल्ला दो जडियाएलगा दो अरुणा दो अग्गिल्ला दो काला दो महाकालगा दो सोत्थिया दो सोवत्थिया दो वद्धमाणगा दो पसूमाणगा दो अंकुसा दो पलंबा दो णिच्चालोया दो णिच्चुज्जोया दो सयपभा दो ओभासा दो सेय करा दो खेम करा दो आभकरा दो पभ करा दो अपराजिया दो अरया दो असोगा दो विगतसोगा दो विमुहा (विमला) दो वितत्ता दो वितत्था दो विसाला दो साला दो सुव्वता दो अणियट्टा दो एगजडी दो दुजडी दो करकरिगा दो रायग्गला दो पुप्फकेऊ दो भावकेऊ । (सू०९०)
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