Book Title: Sthanang Sutra Dipika Vrutti
Author(s): Vimalharsh Gani, Mitranandvijay
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 454
________________ // श्रीस्थानाङ्ग परिशिष्ट / दीपिकावृत्तिः / पत्रम् पवितः ठाणागसूत्र-बृहट्टीकापाठ 294-2 5 अन्यस्त्वमित्रः 295-1 7 बोधविपर्यासेन ..2 5. तन्निग्रहास्तु भिसाले // 444 // rena100000000000000000000000000000000000000000000000000000000. पत्रम् पतिः ठाणांगसूत्र-दीपिकाटीकापाठ 417 12 अन्यस्त्वमित्रं 418 13 बोधिविपर्यासेन तन्निग्रहस्तु भसोले 42. 1 गेज्जे 3 पडिसुए .श्चतुहम्तदेहा दकगभा अभ्रसंस्तृतानि प्रपन्च्य त चूलवत्यु 425 12 पताकाच्छेदको 427 2 बंध उदीर० ܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀ܪܰ܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀ पांडुमुते चतुईस्ता देवा 286-2 10 उदकगम्भा 287-1 3 अभ्रसंस्थितानि 13 प्रपञ्चत -2 13 मूलवत्यु 297-1 2 पातकश्छेदको , 10 एवंचिघ उवचिय बंध उदीर० // 444 // ////// Jan Education For Private & Personal use only ////////// liwww.iainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 452 453 454