Book Title: Siddhanta Lakshan Tattvaloka
Author(s): Dharmadattasuri
Publisher: Vidya Vilas Yantralaya
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सिद्धान्तलक्षणतच्चालोकः ।
जयनाकत्वस्यैव हेतुप्रतीतौ सत्वेनवैयर्थ्यप्रसङ्गाश्च तथाचयद्धर्मसमान धिकरणधर्मावच्छिन्नाभाव कूटवानितिप्रतीतिविषयतावच्छेदकताव
पर्याप्यनुयागितावच्छेदकसत्तावदभावादिप्रतियोगित्वसा
१०२
धारणसमुदायत्वावच्छिन्नानुयोगिता पर्याप्तिकावच्छेदकताकविक यताशून्यत्वस्यहेतुमत्वप्रतीतोसत्वेननवैयर्थ्यासम्भवहति । यत्तुयर
र्मसमानाधिकरणत्वमात्रेणवास्तवोभयावृत्तिधर्ममात्रावगाहि यख समानाधिकरणधर्मावच्छिन्नाभावकूटवानितिप्रतीतिमादाय वैयर्थ्य भवः तत्रसत्तावदभावादेरविषयत्वेनतत्प्रतियोगित्वसाधारणसमुदा यत्वस्यधारणासम्भवादिति तन्न तादृशप्रतीतिविषयतावच्छेदकत स्वावच्छिन्नप्रतियोगिताकपर्याप्यनुयोगितावच्छेदकस्य व्याप्यत्ताव च्छेदकतात्वावच्छिन्नप्रतियोगिताक पर्याप्त्यनुयोगितावच्छेदकत्व वि रहा तस्यसत्वावच्छिन्न प्रतियोगित्वादिसाधारणसमुदायत्व उभया तित्वसाधारणसमुदायत्वेवासत्वात् । अन्येतुनिरवच्छिन्नावच्छेदव स्वस्यैव व्यर्थविशेषणघटितत्व घटकत्वमित्यभ्युपगमेन प्रकृतेउभयावृ तित्वविशेषणस्यव्यर्थतामुपपादयन्ति तथाहि हेतुतावच्छेदकघटका नामवश्यं कुत्राप्यनवस्थाभयेन स्वरूपताभानमभ्युपेयं तथाचोभयावृि त्थघटकस्वरूपतोभासमान निष्ठावच्छेदकत्वस्यापि निरवच्छिन्नतय तद्घटितवृत्तिसमुदायत्वस्यैव हेतुतानिरूपित निरवच्छिन्नावच्छेदकता त्वावच्छिन्नप्रतियोगिताक पर्याप्त्यनुयोगितावच्छेदकतया तदवच्छि नानुयोगिताक पर्याप्तिप्रतियोग्यचच्छेद कताकविषयताशून्यं विशिष्ट स्तरघटकस्वरूपतोमान योग्या खिल प्रकारकसमूहालम्बन ज्ञानमाद ॥ विषयतावच्छेदकतात्वावच्छिन्न पर्याप्त्यनुयोगितावच्छेदकस्य व्याप तानिरूपित निरवच्छिन्नावच्छेदकता त्वावच्छिन्न पर्याप्त्यनुयोगिताब च्छेदकत्ववत्तया तदवच्छिन्नानुयोगिताकपर्यातिप्रतियाग्यवच्छेदक कविषयताशून्यत्वस्य हेतुमत्वज्ञानेविरहेण वैयर्थ्यासम्भवइतिवदन्ति दसत् निरवच्छिन्नावच्छेदकत्वस्यव्यर्थविशेषणघटितत्वघटतकत्वा इस कत्वएवहितत्संम्भवति नचतस्यावश्यकत्वन्तथाहि धूमवतो हेतु।
धूमधूमत्वगत्समुदायत्वावच्छिन्नानुयोगिताकपर्याप्तिकावच्छेदकता
कविषयताशून्यधूमत्वेनतधूमावगाहिधूमवद्वानितिज्ञानविषतावच्छे दकतात्वावच्छ्त्रिपर्याप्त्यनुयोगितावच्छेदकतधूमधूमत्वगत द्वित्व
मादायवैयध्यैवारणाय हेतुतावच्छेदकत्तायान्नित्वच्छिन्नत्वमभिमतं
"Aho Shrutgyanam"

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