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( १७८ ) विभिन्न निमित्तों एवं प्राकृतिक उत्पातोंके द्वारा देश, राष्ट्रका विनाश और दुभिक्ष आदि
होनेके चिह्नोंका निरूपण अकालमें फूलने फलने वाले वृक्षादिके द्वारा दुष्फलों का वर्णन दुनिमित्तोंसे सूचित दुष्फलोंकी निवृत्तिके लिए शान्ति-कर्म करनेका विधान नक्षत्रोंके आग्नेय, वायव्य, वारुण और माहेन्द्र मण्डलका निरूपण उल्कापात आदिके और आग्नेय मण्डल आदिके फलोंका निरूपण कौन-सा मण्डल किस दिशाको पीड़ित करता है और पूर्णिमा तिथिकी हीनाधिकता किस
प्रकार वस्तुओंकी तेजी मन्दी लाती है इसका निरूपण सूर्य, चन्द्रके अपनी राशिमें स्थित होने पर स्वस्थता आदिका विचार ग्रहोंके मुसलयोग आदिका ज्योतिष शास्त्रके अनुसार शुभ-अशुभ फलका निरूपण चार प्रकारके मेघोंका वर्णन । विभिन्न ग्रहोंका विभिन्न वारोंके योगमें वर्षाका विचार तुलासंकान्ति आदिके योगमें दुर्भिक्ष आदिका विचार . वास्तुशुद्धि और विभिन्न मास, राशि और नक्षत्रके योगोंमें गृह-निर्माणका विधान कुमास, कुनक्षत्र आदिके योगमें गृह-निर्माणका निषेध गृह-भूमिके क्षेत्रफलको आठसे भाजित कर शेष रहे अंगोंसे निवास करने वाले आयका _निरूपण गृह-
निर्माणमें व्यय सूचक योगका और गुणोंका विचार सोलह प्रकारके गृहोंका और उनके फलका निरूपण निर्मित गृहकी अमुक दिशामें भंडार रसोई शस्त्र आदिके रखनेके स्थान निरूपण गृह और गृह-स्वामीकी राशियोंमें षडाष्टक योग आदिके दुष्फलका निरूपण भवन-निर्माणमें तुला, वेध आदिका निरूपण वृक्ष, कूप आदिसे अवरुद्ध द्वार शुभ नहीं होता अर्हन्त देव आदिकी ओर पीठ आदि करनेका निषेध घरकी वृद्धिके क्रमका निरूपण चन्दन, शंख आदि वस्तुएँ घरकी शोभावर्धक हैं घरमें खजूर अनार बेरी और विजौरा आदिका उत्पन्न होना गृह-विनाशक है भवनके समीप पीपल, वट, आदिके वृक्षोंके होनेसे दुष्फलोंका वर्णन विद्याध्ययन प्रारम्भ करनेमें बुध गुरु और सोमवार श्रेष्ठ हैं, मंगल और शनिवार अनिष्ट
कारक होते हैं, शुक्र और रविवार मध्यम हैं विद्यारम्भके योग्य उत्तम नक्षत्रोंका निरूपण पढाने वाले आचार्यका स्वरूप निरूपण आचार्य शिष्यको किस प्रकार शिक्षण और ताड़न आदि करे शिष्यका स्वरूप और उसके कर्तव्योंका निरूपण अध्ययनके अयोग्य तिथि आदिका निरूपण उल्कापात एवं बन्धुजनोंके मरणकाल आदिमें पढ़नेका निषेध
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