Book Title: Sharavkachar Sangraha Part 4
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 573
________________ २३४ श्रावकाचार संग्रह तृतीयो निहालचन्द्रश्चतुर्थों गणेशाह वयः । कनिष्ठोपि गुणोत्कृष्टः पञ्चमस्तु नरायणः ॥२६॥ एते पश्चापि पुत्राश्च जैनधर्मपरायणाः । वीधूहीयोषितः पुत्रौ जानकीयसुतोपमो ॥२७॥ भोल्हासंघाधिनाथस्य वणिजां चक्रवर्तिनः। प्रथमको हरदासः कृष्णराजबलोपमः ॥२८॥ द्वितीयो भावनादासः शत्रुकाष्ठदवानलः । बालचन्द्रस्य सद्भार्या करमाया म्यात्कुलाङ्गना ॥२९॥ लालचन्द्रभार्या गोमा धर्मपत्नी पतिव्रता । निहालचन्द्रस्य भार्ये वंश्या नाम्ना च वीरणी ॥३०॥ गणेशायस्य सद्भार्या साध्वी नाम्ना सहोदरा । फामनसंघनाथस्य भार्ये द्वे शुद्धवंशजे ॥३१॥ आद्या डूंगरही ख्याता नाम्ना गंगा द्वितीयका । डूंगरही भार्यायाः द्वौ पुत्रौ हि चिरजीविनी ॥३२॥ रूडा स्यादादिमो नाम्ना माईदासो द्वितीयकः । गंगायाः योषितः पुत्रो मुख्यः कौजूसमाह्वयः ॥३३॥ रूडाभार्या च दूलाही तयोः पुत्रो च द्वौ स्मृतौ । प्रथमो भीवसी नाम्ना रायदासो द्वितीयकः ॥ स्ववंशगगने भूम्नि पुष्पदन्ताविव स्थितौ ॥३४॥ ज्झारू द्वितीयपुत्रस्य कठुराख्यस्य धर्मिणः । भार्या तिसुणाहि नाम्ना नाथू नाम सुतस्तयोः ॥३५।। नाथूभार्या चिताल्ही स्यात्पुत्रौ रूढा तयोर्द्वयोः । ज्झारू चतुर्थपुत्रस्य भार्या चुंहो समाख्यया ॥३६॥ तयोः पुत्रस्तु गांगू स्यादात्मवंशावतंसकः । एते सर्वेपि जैनाः स्युः कोर्त्या संघेश्वराः स्मृताः ॥३७॥ गणेश है तथा सबसे छोटा किंतु गुणोंमें सबसे बड़ा ऐसा पांचवां पुत्र नारायण है ।।२५-२६।। ये पांचों पुत्र जैनधर्ममें तत्पर हैं। वैश्य या व्यापारियोंमें चक्रवर्तीके समान भोल्हानामके संघनायकके बीधूही नामकी स्त्रीसे दो पुत्र उत्पन्न हुए हैं जो दोनों ही जानकीके पुत्र लव और अंकुशके समान हैं। इन दोनोंमेंसे पहले पुत्रका नाम हरदास है जो कृष्णराजबलके समान है। अथवा कृष्णराजके समान बलवान है तथा दूसरे पुत्रका नाम भगवानदास है जो शत्रुरूपी काष्ठको भस्म कर देने के लिए दावानल अग्निके समान है। इसमेंसे बालचन्द्रकी श्रेष्ठ कुलस्त्रीका नाम करमा है ॥२७-२९।। लालचन्द्रकी धर्मपत्नी पतिव्रता स्त्रीका नाम गोमा है। निहालचन्द्रके दो स्त्रियां हैं। पहिली स्त्रीका नाम वैश्या है और दूसरीका नाम वीरणी है ॥३०॥ गणेशको श्रेष्ठ और साध्वी (सीधीसाधी) स्त्रीका नाम सहोदरा है। इस प्रकार यह भोल्हाका वंश बतलाया। फामननामके संघनायकके दो स्त्रियां हैं जो दोनों ही शुद्ध वंशमें उत्पन्न हुई हैं। पहली स्त्रीका नाम डूगरही है और दुसरीका नाम गंगा है। फामनके ड्रगरही स्त्रीसे दो चिरंजीव पुत्र उत्पन्न हुए है ॥३१-३२॥ पहले पत्रका नाम रूडा है और दूसरे पत्रका नाम माईदास है तथा फामनसेठके गंगानामकी स्त्रीसे फांजू नामका एक मुख्य पुत्र उत्पन्न हुआ है ॥३३।। उसमेंसे रूडाकी स्त्रीका नाम दुलाही है। उस रूडाकी दूलाही स्त्रीसे दो पुत्र उत्पन्न हुए हैं। पहले पुत्रका नाम भोवसी त्रका नाम रामदास है। ये दोनों पुत्र पृथ्वीपर एस शाभायमान में अपने वंशरूपी आकाशमें सूर्य चन्द्रमा ही हों ॥३४॥ यह सब भारूके पहले पुत्र दूदाका वंश बतलाया। अब भारूके अन्य पुत्रोंका वंश बतलाते हैं। भारूके दूसरे पुत्रका नाम ठकुर है । वह भी बहुत धर्मात्मा है। उसकी स्त्रीका नाम तिहणा है। उन दोनोंके एक पत्र है जिसका नाम नाथू है ॥३५।। नाथूकी स्त्रीका नाम चिताल्ही है । नाथूके उस चिताल्ही स्त्रीसे रूढा नामका पुत्र उत्पन्न हुआ है। यह भारूके दूसरे पुत्र ठुकरका वंश बतलाया। अब भारूके चौथे पुत्रका वंश बतलाते हैं। भारूके चौथे पुत्रका नाम तिलोक है। उसको स्त्रीका नाम चुंही है ।।३६।। उसके पत्रका नाम गांगू है। यह गांगू अपने वंशमें आभूषणके समान सुशोभित है। ये सब जैनधर्मको धारण करते हैं और अपनी कीर्तिके द्वारा ये संघेश्वर कहलाते हैं ॥३७॥ इन सबमें गृहस्थधर्ममें अत्यन्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598