Book Title: Sharavkachar Sangraha Part 4
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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श्रावकाचार-संग्रह भोगिभोगोपमान् भोगान् धर्मसं० २.१०७ भोजन-वाहन-शयन
रत्नक० ८८ भोगीन्द्ररुपमुक्तापि श्रा० सा० १.१९ भोजन-स्नान-गन्धादि भव्यध० ४.२६२ भोगे त्रसबहप्रज्ञाघातके धर्मसं० ४.२० भोजनादिष ये कर्यः
श्रा सा (उक्तं) ३.७६ ।
उमा० २७४ भोगे भुजङ्गभोगाभेश्रा० सा० १..३६ 1 उमा०७२ भोजनानन्तर वाम
कुन्द. ३.६१ भोगेभ्यो विरताः काम ___ कुन्द० ११.१३ भोजनानन्तरं सर्व भोगोपभोगकृशनाद् सागार० ५.१९ भो जना वचनस्याद्य प्रश्नो० १३.७४ भोगोपभोगयोर्जातं पुरु० शा० ४.१६४ भोजने शयने याने
पुरु० शा० ४.६० भोगोपभोगत्यागार्थ
(श्रा० सा० ३.२८२ भोजने षट रसे पाने प्रश्नो० १७.१२३
र उमा० ४३५ भोगोपभोगयोरेव
भोजयित्वा स्वयं यावत् लाटी० ५.१८१ पुरु० शा० ४.१६३
भो जितेन्द्रिय मार्गज्ञ धर्मसं० ७.५७ भोगोपभोगयोर्यत्र . " ४.१५९
भोज्यं भोजन-शक्तिश्च यशस्ति० ७५७ भोगोपंभोगयोस्त्यागे धर्मोप० ४.१४२
भोज्य-मध्यादशेषाश्च लाटी० ४.२४६ पुरु० शा० ४.१६१ भोज्यं शाल्यादि च स्निग्धं कुन्द० ६.४
प्रश्नो० १७.१२५ भोगोपभोगवस्तूनां .
भो तात कस्य पुत्रोऽहं प्रश्नो० १०.३५ धर्मोप० ४.१२० पुरु० शा० ४.१६२ भो निजिताक्ष विज्ञप्तपरमार्थ सागार० ८.४८ 5. पुरुषा०
भो भगवन्नतीचारान् भोगोपभोगभूता
१६१
प्रश्नो० १३.२९ श्रा०सा० ३.२८७ भो भट्टारक ये नैव
, १६.८७ भोगोपभोगसंख्या
अमित० ६.९२ भो भव्यास्त्रिजगत्सारं धर्मोप० १.५१
रत्नमा० १७ भो भव्यः सत्कुलोत्पन्नो प्रश्नो १२.१८२ भोगोपभीगसंख्यानं पद्म पंच० २७. भो भो कुवलयेन्दो त्वं धर्मसं० २.१०४
प्रश्नो० १७.८७ भो भो सुधाशना भूय महापु० ३८.२०४ भोगोपभोग-संख्याया
" १७.८५
भो मित्र दर्शनात्तेदहं धर्मसं० २.१०० भोगोपभोग-सम्पन्नो
२१.८७
भौम-भास्कर-भन्दानां कुन्द० ८.१४५ भोगोपभोग-सम्बन्धे
धर्मसं० ४.२७ भोगोपभोग-साधन
भौमव्यन्तरमत्यंभास्कर यशस्ति० ४७९ पुरुषा० १०१
भौमस्य दिवसे काल कुन्द० ८.२११ भोगोपभोग हताः । (उक्तं) श्रा० सा० ३.२८५ भोगोपभोग-हेतोः इ. पुरुषा० १५०
भौमस्माधो गुरुश्चेत्स्यात्
८.३७ भोगोपभोगाय करोति
५.१२५ भोमार्कशनिवाराणां अमित० १.२४ भौमाकं-शुक्रवाराश्चेद
५.२२४ भोगोऽयमियान सेव्यः सागार० ५.१३ भोमेत्तरा फानवमीयामात्
८.२०१ भोजनं कुरुते पुत्रः
प्रश्नो० ३.१२० भोजनं कुरुते यस्तु
भ्रमन् लोके स पूत्कारं प्रश्नो० १३.७६ , ३.४८ भ्रमता जन्तुनाऽनेन
धर्मसं० ७.३९ भोजनं कुर्वता कार्य अमित० १२.१०१ भ्रमति पिशिताशनाभि सागार० २.९ भोजनं पूजनं स्नानं धर्मसं० ३.४४ भ्रमरो योजनकच भव्यध० ३.२३३ भोजन-वस्त्र-माल्यादि , ४.११४ भ्रम मोहोऽङ्गसाहश्च कुंन्द० ८.१७१
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