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सद्यायमाला.
जे श्राये ते सब जावेगे, जीव सबे जगबासी जी ॥ अपनी बुटी कमाई के. बिनुं, जीउके संग न जासी ॥ ० ॥ १५ ॥ यह हे जीव सदा श्रवि नासी, मर मर जाय शरीरा. जी ॥ इसकी चिंता कतु न करनी, हुइ प ने धर्मधीरा ॥ ० ॥ १६ ॥ सहस लाखसुं जुद्ध जुजाबल, लडत जग एकेले जी ॥ ब्रह्मा विष्णु महासुर दानव, काल सबे संकेले ॥ ० ॥ १ ॥ वाडी यह संसार बम्या दे, काल तिहां है माली जी ॥ काचे पाके चून लहे फल, लगे ज्युं दरखत काली ॥ ० ॥ १८ ॥ तन धन जोबनका मतवाला, गिणत किसी कुं नाहीं जी ॥ बादशाह बत्रपति नूपति, मोत गले वांही ॥ ० ॥ १५ ॥ नातो गोती सजन संबंधी, सब स्वारथ में बूडे जी ॥ स्वारथ वि मूके दरखत ज्युं, देख पंखेरा उडे ॥ ० ॥२॥ पवन स्वरूपी काया अंदर, हंस लीयाहे वासा जी ॥ पल पल ययु घटत दे जैसे, पाणी मांहे पतासा ॥ ० ॥ २१ ॥ मुरख करी करी मेरी मेरी, परसंगत दुःख पावे जी ॥ ममता बोडी सहेज सुख पावे, जो समता घर
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वे ॥ ० ॥ २२ ॥ तनपंजर बीच जीव पखेरु, ऊडत ऊडत आया जी ॥ आवत जावत कीसी न इनकी, खोज कहु नव पाया ॥ ॥ २३ ॥ कोलत बोलत तन चंदर वली, चेतन चिन्ह दिखावे जी ॥ ज्युं बाजीगर काठ पुतरीयां, नव नव जातः नचावे ॥ ० ॥ २४ ॥ काया पाटण चे तन राजा, मनकोटवाल बेठाया जी ॥ पंच ठगोसुं एका कर कर, सब पा ट मुसिखाया ॥ ० ॥ २५ ॥ नवा नवा तनजामा पहेरी, नव नव घाट घटे हे जी ॥ तीन कौन हे तीन अवस्था, चोथे कौन फटे हे ।। ० ॥ २६ ॥ तेराहे सो कछु न जावे, तुं आपणां ना खोवे जी ॥ बिगड्या न या विमाणां याशे, तुं मूरख कहा रोवे ॥ ० ॥ २७ ॥ -जला बुरा तुज क करनेका, जो कतु तुंही करेगा जी ॥ पंथ बीच होयगा सो संबल, तेरइ संग चलेगा ॥ श्र० ॥ २८ ॥ मोरी ज्युं अंगुल अटका, चकरी श्र वे जावे जी ॥ कोरी तूटत यात न चकरी, ना आवे ना जावे ॥ ० ॥ ॥ ११५ ॥ यह करतां हुं यह मैं कीया, यह में सही करूंगा जी ॥ मेरे मो त लगी लारे, गणे नहि ज्यूं गूंगा ॥ ० ॥ ३० ॥ यावत जावत सास उसासा, करत हे कोन अभ्यासा जी ॥ जानेका कटु अचरज ना दी, रहका दे तमासा ॥ ० ॥ ३१ ॥ इसकाया पायाका लाहा, सु
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