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जंबुकुमारनुं चोढालियु. ((३२)
॥ अथ श्रीजंबूकुमारनुं चोढालीयु पारंजः ५ ' ॥दोहा॥ सरसति पदपंकज नमी, पामी सुगुरु पसाय ॥ गुण गातां जंबुस्वामिना, मुज मन हर्ष न माय ॥१॥ यौवनवय व्रत आदरी, पाले निरतिचार ॥ मन वच काया शुशु, जाउं तस बलिहार ॥२॥
॥ ढाल पहेली।। ॥प्रवहण तिहांथी पूरीयु रे लाल ॥ ए देशी ॥ राजग्रही नगरी नली रे खाल, वार योजन विस्तार रे॥ नविकजन ॥ श्रेणिकनामें नरेसरू रे लाल, मंत्री अजय कुमार रे ॥ ना ॥१॥ नाव धरी नित्य सांजलोरे लाल ॥ ए आंकणी ॥षनदत्त व्यवहारीयो रे लाल, वसे तिहां धनवंत रे ॥ ज० ॥ धारणी तेहनी नारया रे लाल, शीलादिक गुणवंत रे ॥ना ॥ नावण ॥२॥ सुख संसारनां विलसतां रे लाल, गर्ने रह्यो शुलदिन्न रे॥ न ॥ सुपन लही जंवुवृदातुं रे लाल, जनम्यो पुत्र रतन्न रे ।। न ॥ नाव॥॥ जंजुकुमर नाम स्थापीयु रे लाल, स्वप्नतणे अनुसार रे । न । अनुक्रमें यौवन पामीयो रे लाल, हुई गुणनंमार रे ॥न्न ॥ नाव ॥४॥ ग्रामानुप्रामें विचरता रे लाल, आबीया सोहमस्वामि रे ॥०॥ पुरजन वांदवा आवीयां रे लाल, साथें जंबु गुणधाम रे॥जण ॥ जाण ॥५॥ नविक जनना हितलणी रे लाल, दीये देशना गुणधार रे॥न०॥ चारित्र चिंतामणि सारिखं रे लाल, लवपुःख वारणहार रे ॥ ॥ ना ॥ ६॥ देशना सुणी जंबुरीजीया रे लाल, कहे गुरुने कर जोडि रे ॥०॥ अनुमति लेशमात तातनी रे लाल, संयम लीयो मन कोड रे ॥ नविण ॥ नाव ॥७॥ इति ॥
॥ ढाल वीजी।। ॥झर आंवा आंवली रे ॥ ए देशी । गुरु बांदी घर आवीया रे, पा मी मन वैराग॥ मात पिता प्रत्ये दोनवे रे, करशुं संसारनो त्याग ॥१॥ माताजी, अनुमति यो मुज आज ॥ जेम सीजे वंचित काजमाताजी॥ ॥अनुमति ॥ ए आंकणी ॥ चारित्र पंथ ने दोहिलो रे, व्रत खांडा नी धार ॥ लघु वय ने वत्स तुम तणुं रे, केम पले पंचाचार ॥ कुमरजी, व्रतनी म करो वात ॥ तुं मुज एक अंगजात ।। कु० ॥ ॥२॥ एक सबिहारें विचरतुं रे, रहे वन नद्यान ॥ लूमिसंथारे पोढवु रे, धरवू
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