Book Title: Sazzayamala
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 415
________________ ( ) सद्यायमाला. - - .. ॥ अथ श्रीअविचलजीकृत नागेश्वरी ब्राह्मणीनी सयाय ॥ . ॥ ढाल पहेली ॥ चंपानगरी वखाणिये रे साल, जरतक्षेत्र मकार हो । जावकजन ॥ सोमल ब्राह्मण तिहां वसे रे लाल, नागेश्वरी घरनास्य हो ॥ नविण ॥१॥ साधुने वहोराव्युं कडवू तुंबडं रे लाल, कीधो न मन्न वि चार हो । न॥तिणकाले ने तिण अवसरे रे लास, धर्मघोष अणगार हो ॥ ज०॥ सा॥२॥ तेहनो शिष्य अति दीपतो रे लाल, धर्मरुचि मु निराय हो ॥न ॥ मास मास तप आदरे रे लाल, रहे गुरांकी लार हो । ॥०॥ सा ॥३॥ मासखमणके पारणे रे लाल, लेश गुरुनी आण हो। ज०॥ नागेश्वरी घर बाविया रे लाल, दीयो घणो सन्मान हो ॥०॥ सा० ॥ तेतो घरमांहि जाश्ने रे लाल, हरषशुं साये उगय हो॥जणा कडुवा तूंबारो सालणोरे लाल, सब दीधो वहोराय हो॥०॥ सा ॥ ५॥आहार पूरो.जाणी करी रे लाल, श्राव्या गुरांजी रे पास होन॥ एहवो आहार वत्स मत करो रे लाल, होशे जीवविनाश हो ॥ ज०॥ सा ॥६॥आहार लेश मुनि चालिया रे लाल, गया वनह मकार हो ॥ ज० ॥ एक बुंद तिहां परठव्यो रे लाल, हुवो जीव संहार हो ॥ ज० ॥ सा॥७॥ एकविंपुने नाखवे रे लाल, हुवो जीवनो विनाश हो जि॥ जीवदया मन चिंतवी रे लाल, कियो सघलो थाहार रे ॥ ज० ॥ सा॥ ७॥ एक मुहूंरतके आंतरे रे लाल, परिणम्यो आहार असार हो ॥ ज० ॥ अतुल वेदना ऊपनी रे लाल, तुंबा तणे प्रसाद हो ॥ न ॥ सा ॥ए.॥ संथारा गाथा पढि करी रे लाल, त्याग्यो सकल आहार हो । न॥ पाप अढार पच्चरकी करी रे लाल, काल कियो तिण वार हो ॥ नासा ॥१०॥ साधु थाणी मन जावना रे लाल, गया अनुत्तर विमान हो ॥नः॥ माहाविदेहमांहे जनमशे रे लाल, पामशे केवल झान हो ॥ ज०॥सा ॥ ११ ॥ ब्राह्मण सुणि करी कोपियो रे लाल, नागेश्वरी ने दीधी काढ हो॥नसोल जातिना रोग उपन्यारे लाल, वेदना पीडी अपार हो ॥ न०.॥सा॥ १५ ॥ साते नरकमें जाक रीरे लाल, रुली असंख्यातो काल हो ॥ ज० ॥ फुःख अनंतां पामियां रे खाल, कर्मतणां फल जाण होनि ॥सा ॥ १३ ॥ शेवतणे घरे श्र वतरी रे खास, चंपानगरी मकार हो ॥ न ॥ सुखमालिका नामें नली -

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