Book Title: Sazzayamala
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ३६ )
सद्यायमाला.
वा सुत मनोहार ॥ जयो तप रोहिणी ए ॥ रोहिणी नामें तस सुता ए, श्रीदेवी मात मलार ॥ जं० ॥ करे तस धन अवतार ॥ ज० ॥ १ ॥ पद्म प्रजुना वयपथी ए, दुर्गंधा राजकुमार ॥ ज०॥ रोहिणी तप याते नवे ए, सुजस सुगंधी विस्तार ॥ ज० ॥ क० ॥ २ ॥ नरदेव सुरपद जोगवीं ए, ते यो अशोक नरिंद ॥ जना रोहिणी राणी तेहनी ए, दोयने तप सुख कंद |||||| ३ || रनिगंधा कामिनी ए, गुरुउपदेश सुषंत ॥ ज० ॥ रोहिणी तप करि दुःख दूरी ए, रोहिणी जब सुखवंत ॥ ज०|| ||४|| प्र थम पार दिन बननो ए, रोहिणी नक्षत्र वास ॥ ज०॥ विधें करि तप उच्चरो ए, सात बरस सात मास ॥ ज० ॥ ० ॥ ५ ॥ करो उजमणुं पूर तए, अशोक तरु तल गय ॥ ज० ॥ बिंब रयण वासुपूज्यनुं ए, अ शोक रोहिणि समुदाय ॥ ज० ॥ क० ॥ ६ ॥ एकसोएक मोदक जलाए, रूपा नाणां समेत ॥ ज० ॥ सात सत्याविश की जियें ए, वेश संघ जक्ति देत ||०|०|| || आठ पुत्र चारे सुता ए, रोग सोग नवि दीव ॥ ज० ॥ प्रभु हाथे संयम लं ए, दंपती केवल दीठ ॥ ज०॥ कणा ॥ कांति रोहि पीपति जिसी ए, रोहिणीसुत सम रूप ॥ ज० ॥ ए तप सुख संपद दिये ए, विजयलक्ष्मी सूरी भूप ॥ जए | क० ॥ ए ॥ इति रोहिणी खचायं ॥ ॥ अथ श्री ज्ञान विमलजीकृत कौशल्याजीनी सद्याय प्रारंभः ॥ ॥ जामिनीने भरतार मनावे ॥ ए देशी ॥ दशरथ नृप कौशल्याने कड़े, तुं जामिनी किम डुषाण । ॥ के आ जोने रे ॥ तुं जा० ॥ प्राणथकी धिकी ढो बाहाली, राममाता गुण खाणी ॥ के आप || राम० ॥ के ना जो नहिं जो के, शानें के शा माटे ॥ मारे वादाला नहिं बोलुं तुम्ह साथै रे, तुमशुं बोला लीधा ॥ १ ॥ ए क ॥ गलापासे, रणी ना गलथी, बोडवे आप हाथे ॥ के आ० ॥ सादामुं जोई छुख कदे मुने, एम कहे यहि बायें । के था० ॥ के ना जो० ॥ २ ॥ तर विध स्नात्र कराव्यां, मंत्र न्हवणनां पाणी ॥ के था | यम्ह विण ते संघले मो कलाव्यां, प्यारें प्रीति तुह्मारी जाली ॥ के ० ॥ के ना० ॥ ३ ॥ पति सुतवंती जे कुलवंती, ते सवि सरखे दावें ॥ के श्राप ॥ शोक्यवेध होय शूलि समाना, ते किम खमीया जावे || के आ० ॥ के ना० ॥ ४ ॥ कहे दशरथ नृप स्नात्र तणुं जल, मोकलीयुं बे पहेलां ॥ के या० || करकंक

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