Book Title: Sazzayamala
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 416
________________ श्री नागेश्वरी ब्राह्मणीनी सद्याय. (३एए): - - - and रेलाल, रूपें रंजा थवतार हो ॥ज॥सा० ॥ १४ ॥ शेवकुंवरी परणा वियां रे लाख, कुंवर थति सुकुमार रे ॥ ॥ ततकाले बोडी गयो रे साल, सागी श्रमिनी कास हो ॥ ज०॥ सा ॥ १५ ॥ शेवजी शेवघर थाविया रे लाल, उखनो दियो तिण वार हो ॥ ॥ विण अवगुण कांश परहीरे लाल, तुम मन कोण विचार हो ॥ ॥ सा ॥ १६ ॥ शेठ पुत्रने एम कहे रे लाल, तें की, कांक पुत्त हो ।। जण ॥ पाना जा वो रे श्णरे घरे रे लाल, राखो शेठ घर सुत्त हो ॥न ॥ सा ॥ १७ ॥ पुत्र कहे पिता सुणो रे लाल, कहो तो बूडं जलमांय हो ॥ ज०॥ कहो तो अग्निमां वली मलं रे सास, कहो तो पहुं रूंख चाढ हो ।न। साथ ॥१७॥ कहो तो मुंगरशुं पडी मरूं रे लाल, कहो तो हुँ विष खालं हो। जण ॥ कहो तो फांसी सेई मरूं रे लाल, कहो तो परदेशे जाउं हो। नासा०॥ रए । कहो तो शस्त्र पहेरी मरुरे लाल, कहो तो खडं संयमनार ॥ हो ।न। तातवचन लो' नहि रे लाल, पण नहिं वंबूं ए नार हो । नासा ॥ २०॥ शेठ सुणी घरे आविया रे लाल, कुंवरी पर वहु कोड हो ॥न। उमक पुरुष अणावियो रे लाल, सो वि गयो तेने गेड हो ।नासा॥१॥कुमरी मन चिंता थश्रे लाल, कां सरजाई किरतार हो । न॥ कीयां पाप में अति घणां रे लाल, उदे हुवां ज्ञण वार हो ॥ ज० ॥ सा० ॥॥ दान देवा तिहां मांमियां रेलाल, दिन दिन पर ते प्रत्नात हो ॥ ज०॥ गोवालिका साधवी पधा रियां रे लाल, पूठे ठे मननी वात हो ॥न । सा॥३॥ कर जोडी विनति करे रे लाल, मुमशुं करो उपकार हो ॥ ॥ मुफ जरतार वांडे नहिं रे लाल, कोश करो उपगार हो । न सा ॥२४॥ एह वचन ति हां सांजली रेलाल, सा कहे धर्म उपदेश हो।न॥धर्म सुणाव्यो मोट को रे लाल, जेथी पावे सुख अनंत हो । ज॥सा॥३५॥ धर्मकथा हे तणुं सांजली रे लाल, श्रावकनां व्रत वार हो ॥ ज०॥ ए धर्म मुफ ता रशे रे लाल, ए संसार असार हो ॥ सा ॥ २६ ॥ आज्ञा लेश पिता तणी रे लाल, लीधो संयमन्नार हो ॥ ज० ॥ चार माहाव्रत उच्च खारे लाल, रहे गुरुपीकी लार हो।न। सा॥२७॥ कर जोडी विनति करे रे लाल, द्यो मुख्ने आदेश हो ॥ ज० ॥ वनमांदी काउस्स - -

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