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संघायमालाः
जो, महीराणा सब पाय ॥ ४ ॥ अनुक्रमें साधन करी, धावे निज पुर थानं ॥ घणी विभूति सायें जीके, कदेतां नावे मानं ॥ ५ ॥
॥ ढोल पांचमी ॥
॥ कोश्या वेश्या कडे रागी जी, मनोहर मन गमता ॥ ए देशीं ॥ निज नगरमा पद्मज खाया जी | मनोहर मन वलिया । राय राणी घ णुं सुख पायाजी | मनो० ॥ सार्थे बहु कृद्धि वखाणी जी ॥ मनो०॥ इष पण संदेपें आणी जी || मनो||१|| नव छाट निधान के जेहने | मनो० ॥ दश चार रत्न कां तेहने जी ॥ मनो० ॥ देश श्रार्य अनार्य मल जा यो जी ॥ मनो० ॥ बत्रीश हजार प्रमाणो जी ॥ मनो० ॥ २ ॥ अंते जर चोराठ हजार जी ॥ मनो० ॥ सहस बत्तीस नाटकनो विचार जी ॥ मनो० ॥ बत्तीस सहस पुर महोटां जी | मनो० ॥ बढ़ोतेर सहस ते बो टां जी ॥ अनो० ॥ ३ ॥ खेट कोडि मंकपनुं मान जी ॥ मनो० ॥ सह स शोल कोवीस जाए जी ॥ मनो० ॥ अडतालीश हजार ने धार जी ॥ मनो० ॥ वाटीनी संख्या सार जी ॥ मनो० ॥ ४ ॥ सहस वीश व्याकर नां खान जी ॥ मनो० ॥ बन्नुं कोडि ते गाम बखाए जी ॥ मनो० ॥ गज अश्व रथनो धमकार जी | मनो० ॥ लाख लाख चोराशी नदार जी ॥ मनो० ॥ ॥ पायक बेनुं क्रोड जी | मनो० ॥ अनुमतिया कोडि तीन जोड जी ॥ मनो० ॥ सुतार डे तीनशें ने साठ जी ॥ मनो० ॥ श्रेणी पर श्रेणीनां वाठ जी ॥ मनो० ॥ ६ ॥ एक लाख अठात्रीश हजार जी ॥ मनो० ॥ वारांगना रूपनी सार जी | मनो० ॥ ते रूपनी आगार सोदे जी | मनो० ॥ नवाएं सहस्र स्त्रीमन मोहे जी ॥ अनो० ॥ ७ ॥ हवे रत्न नायगार वखाया जी ॥ मनो० ॥ सोल सहस्र प्रमाण ते या जी ॥ मनो० ॥ आयुद्धधर त्रीश दज़ार जी ॥ मनो० ॥ सेलाधर बत्रीश वि चार जी | मनो० ॥७॥ पांच लाख दिवटयां चांले जी ॥ मं॥ निशान चो राशी लाख चाले जी ॥ मनो दलनी संख्या तीन कोटि जी | मनो कोबी सिनेर लाख जोडि जी | मनोग॥ हार मोतीना चौसठ हजार जी ॥ मनो० ॥ भूषणधर उत्रीश विचार जी | मनो० ॥ सेवा करे नरें अनी सार जी | मनो० ॥ म्लेबराय गुन शाठ हजार जी | मनो० ॥ १० ॥