Book Title: Samyag Darshan Part 06
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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सम्यग्दर्शन : भाग-6]
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को छेदनेवाला कुठार है और समस्त सुख की खान है। समस्त प्रकार के सन्देहरहित ऐसे सम्यक्त्व को, हे भव्य! तू भज !
* अहो! यह सम्यग्दर्शन है, वह मोक्षफल देनेवाला सच्चा कल्पवृक्ष है। जिनवर-वचन की श्रद्धा उसका मूल है; तत्त्वश्रद्धा उसकी शाखा है। समस्त गुण की उज्ज्वलता रूप जल सिञ्चन द्वारा जो वर्धमान है, चारित्र जिसकी शाखायें हैं; सर्व समिति, वे उसके पत्र-पुष्प हैं और मोक्षसुखरूपी फल द्वारा जो फल-फूल रहा है-ऐसा सम्यग्दर्शन सर्वोत्तम कल्पवृक्ष है। अहो जीवों! उसका सेवन करो। (उसकी मधुर छाया लेनेवाला भी महाभाग्यवान है)। __* वे उत्तम पुरुष धन्य हैं, कृतकृत्य हैं, तीन लोक में पूज्य हैं, वे ही सार-असार का विचार करने में चतुर हैं, पाप-शत्रु का विध्वंस करनेवाले हैं और सर्व सुख को भोगकर मुक्ति महल में पधारते हैं-जो सारभूत सर्व गुणों का घर और अजोड़ ऐसे सम्यग्दर्शन को धारण करते हैं।
(इति सम्यक्त्व महिमा)
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.