Book Title: Samyag Darshan Part 06
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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सम्यग्दर्शन : भाग-6]
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किसी की सहाय के बिना ही, अपने अतीन्द्रियज्ञान तथा आनन्दरूप कार्य करने की सामर्थ्यवाला है। मेरे इस स्वाभाविक कार्य में मुझे अन्य किसी के अवलम्बन की कुछ भी आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार अपनी निजशक्ति के विश्वास से सावधान होकर आत्मसाधना करते-करते वे बन जाते हैं-परमात्मा! यह सब प्रताप है, सम्यक्त्व का!
जो पूरव शिव गये जाय अरु आगे जै हैं, सो सब महिमा ज्ञानतनो मनिराज कहे हैं।
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.