Book Title: Samyag Darshan Part 06
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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[ सम्यग्दर्शन : भाग - 6
समकित सावन आयो
ज्ञानरूपी मेघवर्षा हुई.... भवदावानल बुझ गया !
सम्यक्त्व को श्रावण मास की उपमा दी गई है; श्रावण के महीने में जिस प्रकार मेघ वर्षा होने से सर्वत्र शान्ति छा जाती है, उसी प्रकार सम्यक्त्व होने से आत्मा में अपूर्व शान्तरस की मेघवर्षा होती है ! छहढाला में पण्डित दौलतरामजी कहते हैं कि सम्यग्ज्ञानरूपी मेघवर्षा ही इस भयङ्कर दुःखाग्नि को बुझाने का उपाय है
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“विषयचाह दवदाह जगतजन-अरनि दझावै; तास उपाय न आन, ज्ञानघनघान बुझावे ॥ अहो, ज्ञान और राग की भिन्नता के भावभासन द्वारा जहाँ सम्यग्ज्ञान हुआ, वहाँ आत्मा में चैतन्य के शान्तरस की ऐसी मेघ वर्षा हुई कि अनादिकालीन विषय-कषाय की अग्नि क्षणमात्र में बुझ गयी । ज्ञान होते ही आत्मा, कषायों से छूट गया और चैतन्य के परम शान्तरस में निमग्न हुआ। पश्चात् जो अल्प रागादि रहे, वे तो ज्ञान से भिन्नरूप रहे हैं, एकरूप नहीं हैं । कषाय के किसी अंश को धर्मी जीव, ज्ञान में एकाकार नहीं करते... ऐसा अपूर्व ज्ञान वह परम महिमावन्त है-ऐसा मुनिनाथ ने कहा है ।
।
सम्यग्ज्ञान द्वारा आत्मा के अनुभव से अन्तर से जहाँ शान्त चैतन्यरस की धारा उल्लसित हुई, वहाँ धर्मी कहता है कि
अब मेरे समकित सावन आयो .....
अनुभव दामिनि दमकन लागी, सुरति घटा घन छायो; साधकभाव अंकूर उठे बहु जित-तित हरष छवायो..... अब मेरे समकित .......
(पण्डित भूधरदासजी)
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