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यूनानी सम्राट मिलिन्द तथा बौद्ध भिक्षु नागसेन का
आर्यसत्य विषयक दार्शनिक संवाद
कौशल्या चौहान
हिन्द-यूनानी राजाओं ने भारत के विस्तृत भू-भाग पर लगभग दो शताब्दियों तक शासन किया। इस दीर्घकालीन शासन-परम्परा का एक-दूसरे पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था । धार्मिक क्षेत्र में भारत का यूनानियों पर काफी प्रभाव पड़ा । विजेता होते हुये भी यूनानियों ने विभिन्न भारतीय धर्म ग्रहण किये। गुफालेखों से हमें पता चलता है कि अनेक यवनों ने बौद्ध-धर्म स्वीकार कर लिया था । उत्तरी भारत में शासन करने वाले कई यूनानी राजा बौद्ध-धर्म के प्रबल पोषक थे । इनमें सर्वोच्च स्थान 'मिलिन्द' का है। ग्रीक-समाट् 'मिनेन्डर', 'मेनान्डर' या 'मेनान्ड्रोस' को ही 'मिलिन्द' कहा गया है । 'मिलिन्द' विद्वान् था, तार्किक था, परन्तु अभारतीय था । इसे भारतीय धर्म-दर्शन एवं शास्त्र के विषय में कोई श्रद्धा नहीं थी । वह अपने देश के विद्वानों तथा भारत और यूनान के बीच पड़ने वाले देशों के अन्य विद्वानों को अपनी तर्कबुद्धि से परास्त कर चुका था। भारत में भी वह नागसेन से संवाद होने से पूर्व पूर्ण काश्यप आदि अन्य भारतीय धर्मपीठाधीशों, दर्शनाचार्यों एवं आयुपाल जैसे बौद्धों को अपनी अनुपम तर्कशक्ति से चुप करा चुका था । इस कारण उसे अपने तर्कबल का बहुत दम्भ हो गया था । वह कह बैठा - "अरे, यह जम्बुद्वीप तुच्छ है, बिल्कुल खोखला है। यहाँ ऐसा कोई श्रमण या ब्राह्मण विद्वान् नहीं दिखाई देता जो मेरे सामने आने की हिम्मत कर सके ! मेरे प्रश्नों का उत्तर देना तो बहुत दूर की बात है ।'९ ऐसी परिस्थिति में वह नागसेन से मिला । नागसेन जैसे सिद्ध विद्वान् के सामने उसकी एक भी न चली
और जब उसके सभी छोटे-बड़े प्रश्नों का शास्त्रानुकूल एवं तर्कसम्मत उत्तर मिलता गया तब जीवन में पहली बार उसके दम्भ, दर्प एवं अभिमान विगलित हुये और वह हृदय से एक वास्तविक विद्वान् के सामने नतमस्तक हुआ ।° उसके मुख से अचानक ये नम्रता भरे उद्गार निकले - "तुम ठीक ही कह रहे हो, भदन्त नागसेन विद्वान् है ! ऐसा (नागसेन जैसा) आचार्य (उपदेष्टा) हो और मेरे जैसा अन्तेवासी जिज्ञासु, तभी वह धर्म की गुत्थियों को इतनी जल्दी सुलझा सकता है ।" और वह भदन्त नागसेन का वस्तुतः अन्तेवासी बन गया ।११
भिक्षु नागसेन के साथ राजा 'मिलिन्द' के संवादों की रचना जिस ग्रन्थ में की गई है उसका सार्थक नाम 'मिलिन्दपञ्ह' (मिलिन्दप्रश्न) है ।१२ 'मिलिन्दपज्ह' भारतीय गद्य-शैली का सर्वोत्तम नमूना है ।१३ इसमें 'मिलिन्द' द्वारा पूछे गये बौद्ध-धर्म और दर्शन के जटिल प्रश्नों का नागसेन ने बड़ा सुन्दर