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कानजीभाई पटेल
SAMBODHI
विशेषताओं का उल्लेख करते हुए लिखा है कि इन हस्तलेखों में पद्यविभाग अधिक है और गाथाओं का क्रम एकसा नहीं है। विशेष ध्यान देने की बात यह है कि इसके गद्यविभाग में प्राकृत का प्रभाव अधिक है और नेपालीय हस्तलेखों की अपेक्षा इनमें अशुद्ध संस्कृतिकरण अधिक है।
हॉर्नेल ने भी पूर्वी तुर्किस्तान से तीन हस्तलेखों के कुछ अंश प्राप्त लिए हैं। इनकी सूचना हॉर्नेल द्वारा संपादित “Manuscript Remnants of Buddhist Literature found in Eastern Turkestan" में मिलती है । ये सभी लेख सीधे गुप्ता अक्षरों में हैं। पहला लेख पंद्रहवे परिवर्त के अंतिम भाग तक एवं सोलहवे परिवर्त का आधा भाग है। अन्य दोनों अंशों में ग्यारहवे परिवर्त का कुछ भाग तथा बारहवा परिवर्त है। श्री स्टेन द्वारा संग्रहीत मध्य एशिया के सभी लेख पाँचवी शताब्दी के सीधे गुप्त अक्षरों में लिखे गए हैं। उनमें १९ वा एवं २० वा परिवर्त हैं ।
हॉर्नेल ने जो तीन हस्तलेख प्राप्त किए है उनमें से एक अंश का थोमसने और शेष दो अंशों का संपादन ल्युडर्स ने किया है । ल्युडर्स मध्य एशिया एवं नेपालीय हस्तलेखों का तुलनात्मक अध्ययन कर इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि ये सभी लेख एक ही स्रोत से विकसित हुए हैं। उनके मतानुसार उसके दो संस्करण थे जिनमें मध्य एशियावाला संस्करण प्राचीन था । मूल ग्रंथ में इन दोनों संस्करणों की अपेक्षा प्राकृत का प्रभाव अधिक था । उनका तो यहाँ तक मानना है कि मूल ग्रंथ प्राकृत में लिखा गया था। और शनैः शनैः संस्कृत में परिवर्तित किया गया । फिर भी उन्होंने यह स्वीकार किया है कि जब तक प्राकृत में सद्धर्मपुंडरीक उपलब्ध न हो तब तक यह मत अधिक विश्वनीय नहीं ठहरता । किन्तु मूल ग्रन्थ मागधी भाषा में या उस पर आधारित मिश्र संस्कृत में लिखा गया होगा ।
सीधे गुप्त अक्षरो में लिखे हुए अवशेषों का संग्रह स्टेन ने भी किया है जो मध्य एशिया से मिले हैं । उन में ११ वे परिवर्त के कुछ भाग नए परिवर्त में लिया गया । धर्मरक्ष और कुमारजीव के चीनी अनुवाद इससे साम्य रखते हैं । इस तरह विभागीकरण और क्रम के विषय में ये लेख दूसरे मध्य एशिया के लेखों से भिन्नता रखते है ।
ओहानी द्वारा संग्रहीत लेखों का अध्ययन मिशेनोव ने किया है । ये लेख पाँचवी शताब्दी के सीधे गुप्त अक्षरों में लिख गए हैं। मिशेनोव ने दूसरे लेखों के साथ तथा चीनी अनुवादों के साथ तुलना करके उनका अध्ययन किया है और इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि(१) गुप्त अक्षरों में लिखे गए ये पाँचवी शताब्दी के लेख हॉर्नेल द्वारा बताए गए सातवी शताब्दी
के लेखों से प्राचीन और पुराने रूप में हैं । (२) हॉर्नेल द्वारा बताए लेख नेपाली लेखों से काफी प्राचीन हैं और उनमें प्राकृत का प्रभाव
अधिक है। (३) मध्य एशिया में से प्राप्त लेखों की प्रतियाँ भिन्न भिन्न हैं और उनकी भाषा भी एक सी
नहीं है।