Book Title: Sambodhi 2006 Vol 30
Author(s): J B Shah, N M Kansara
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 180
________________ 174 कानजीभाई पटेल SAMBODHI सद्धर्भपुंडरीक का समय निश्चित नहीं किया जा सकता । नागार्जुन ने जो उद्धृत किया उसका क्या स्वरुप होगा यह तो निश्चित नहीं कहा जा सकता । जो अनुवाद हुए हैं वे भी हाल में उपलब्ध सद्धर्मपुंडरीक से भिन्न हैं । ल्युडर्स, हॉर्नेल और मिशेनोव आदि के मतानुसार इन अनुवादों का आधार कोई प्राकृत ग्रंथ था । वसुबन्धु की टीका भी उपलब्ध नहीं हैं अतः उसके स्वरूप के बारे में विचार नहीं किया जा सकता और हस्तलेख भी खंडित मिलते हैं। अतः बाह्य पुरावों के आधार पर हम यह कह सकते है कि प्रथम या द्वितीय शताब्दी में सद्धर्मपुंडरीक था किन्तु किस स्वरूप में यह निश्चित नहीं हो सकता । उसमें प्राचीन और बाद के तत्त्वों का मिलान है। ऐसा माना जाता है कि पहले मात्र पद्यांश होंगे और उनको जोड़ने का काम करते कुछ गद्यांश प्रस्तावना के रूप में होंगे और बाद में उनका विस्तृतिकरण हुआ होगा । फिर भी बौद्धशास्त्र विषयक विचारों, भाषा, गांधार कला, मूर्तिपूजा आदि को ध्यान में लेने पर वह एक ही समय की रचना न होने पर भी उसका समय प्रथम या द्वितीय शताब्दी मान सकते हैं । सन्दर्भग्रन्थसूचि 1. Winternitz : History of Indian Literature, Vol. II, Part-I. 2. B.C. Law : Pali Literature. 3. B.C. Law : Buddhist Studies 4. बलदेव उपाध्याय : पाली साहित्य का उद्भव और विकास 5. Gaiger : Pali Literature and Language 6. भरतसिंह उपाध्याय : बौद्ध दर्शन तथा अन्य भारतीय दर्शन 7. S. Bill : Buddhism in China 8. R.C. Dutta : History of Civilization in Ancient India 9. राहुल सांकृत्यायन : पुरातत्त्व निबंधावलि 10. Nalinaksha Dutta : Aspects of Mahayan Buddhism and its Relation to Hinyāna 11. Suzuki : Outlines of Mahayana Buddhism 12. Rajendra Lal Mitra : Nepalese Buddhist Literature 13. Harprasad Shastri : Catalogue of Buddhist Manuscripts 14. Bendall : Catalogue of Buddhist Manuscripts. 15. Hara Dayal : The Bodhisattva Deoctric in Buddhist Sanskrit Literature 16. Kern : Mannual of Buddhism 17. Hornel : Manuscript Remnants of Buddhist Literature found in Eastern Turkistan 000

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