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कृपाशङ्कर शर्मा
SAMBODHI
१६ जून, २००७ :
डॉ० बालाजी गणोरकर, (दिल्ली) ने हस्तप्रतों के पञ्जीकरण एवं हस्तप्रत लेखन के समय और स्थान निर्धारणादि विषयों पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । द्वितीय कालांश में डॉ. अशोक सिंह ने "हस्तप्रत लिपिकार और पाठ संस्कृत टीकाकारों की द्रष्टि में" विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया गौड प्राच्य और काशी नामक क्षेत्रो के आधार पर हस्तप्रतों के नामों से अवगत कराया ।
तृतीय एवं चतुर्थ कालांश में डॉ० जितेन्द्र बी० शाह ने नेशनल मिशन फोर मेन्युस्क्रीप्ट की सीडी के माध्यम से मिशन की गतिविधियों से अवगत कराया एवं हस्तप्रतों के संरक्षण हेतु नियुक्त विविध संस्थाओं के प्रयासों से अवगत कराया और प्रतिभागियों के प्रश्नों के जवाब दिये । आपने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के समय लिये हुए प्राकृतिक चित्रों एवं तिब्बत और ल्हासी में स्थित हस्तप्रत भण्डारों की विविध माहीतियों से अवगत कराया जो कि अत्यंत महत्त्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक एवं मार्गदर्शक सिद्ध रहा । यह कार्यक्रम हमारे ४० दिवसीय कार्यशाला के व्याख्यानमाला के अन्तिम दिवस के अन्तिम कालांश में आयोजित था। जिसमें भारतीय संस्कृति एवं परम्परा के विविध रूपों को जानने का अवसर प्राप्त हुआ।
समापन विधि दिनाङ्क १७ जून २००७ प्रातः १० बजे राष्ट्रिय पाण्डुलिपि मिशन (भारत सरकार), नई दिल्ली और एल० डी० इन्स्टिट्यूट ऑफ इन्डोलॉजी के संयुक्त उपक्रम उच्चस्तरीय कार्यशाला पाण्डुलिपिविज्ञान एवं पुरालिपिशास्त्र की समापन विधि प्रो० एन० वी० वसाणी, कुलपति, निरमा युनिवर्सिटी, अहमदाबाद
और डॉ० भोलाभाई पटेल एवं संस्था के मानद् सचिव शेठश्री श्रेणिकभाई के आतिथ्य में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ जैन साध्वी के मंगलाचरण तथा डॉ० प्रीति पञ्चोली के वैदिक मंगलाचरण के साथ हुआ । इसी दौरान हस्तप्रत विद्या के संरक्षण, संवर्धन, प्रचार-प्रसार हेतु हेमचन्द्राचार्य ज्ञानभण्डार, पाटण के प्रमुख ट्रस्टी एवं संस्कृतिप्रेमी श्री यतीनभाई शाह का साल और पुष्पगुच्छ से सन्मान किया गया । ४० दिवस की कार्यशाला का विस्तृत प्रतिवेदन संस्था के नियामक डॉ० जितेन्द्रभाई शाह ने प्रस्तुत किया एवं अतिथिओं का स्वागत वचन बोला । प्रतिभागियों में से डॉ० मयूरीबेन भाटीया, श्री भार्गव जानी, श्री शैलेष जोषी एवं श्रीमती रसीलाबेन कडीया ने कार्यक्रम की सफलता और अपने अनुभव को प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. विजय पंड्या, डॉ. दीनानाथ शर्मा, श्री नितीनभाई नाणावटी एवं अनेक नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन प्रो० कानजीभाई पटेल ने किया और आभारप्रदर्शन प्रो० कनुभाई शाह ने माना ।