Book Title: Samasya aur Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 17
________________ महावीर समाधान के वातायन में अन्धा आदमी दौड़ता है परन्तु दौड़ते हुए भी देखने में सक्षम न होने से जल मरता है। इसलिए ज्ञान और क्रिया के संयोग से ही फल की प्राप्ति होती है। जैसे कि यदि अन्धा और पंगु दोनों मिल जायें तो अन्धे के कन्धे पर पंगु बैठकर और आग से निकलकर बच सकते हैं। बात यह बिल्कुल ठीक है मतलब कि एक पहिये से रथ नहीं चला करता। दो पहिये हों और दोनों समान । ऐसा नहीं कि एक पहिया तो हो सायकिल का और दूसरा पहिया हो ट्रैक्टर का। दोनों समान हो-यही समन्वय है। भगवान् महावीर ने भी अद्भुत समन्वय किया था बहिर्मुखता एवं अन्तर्मुखता का। उन्होंने साधना-गृह में एक ऐसा दीपक बनाया, जिसे देहली का दीपक कहते हैं जो बाहर और भीतर दोनों ओर आलोक फैला सके । बहुत बड़ी-बड़ी समस्याएं थीं महावीर के सामने तीसरी समस्या थी उच्चावचता यानी ऊँच और नीच का भेदभाव । महावीर स्वामी ने मानव मात्र एक समान है-इसका उद्घोष किया। आज जो 'मानव-धर्म' के नाम से नया सम्प्रदाय पनपा है, उसका अंकुरण चाहे विनोबा भावे या अन्य किसी ने किया हो, लेकिन बीजारोपण महावीर का है। खैर, विनोबा तो कहते ही थे कि मुझ पर भगवान् महावीर का गहरा प्रभाव पड़ा है। कारण, महावीर स्वामी ने पूरी मानव-जाति को एक समान बताया, चैतन्य तत्त्व यानी अस्तित्व और सत्ता की दृष्टि से । मानव-जाति एक है। भेद कैसे उसमें। जाति, वर्ग, वर्ण, पंथ के ? किन्तु ऊँच और नीच, जाति का भेदभाव इतना अधिक बढ़ गया था कि मनुष्य यदि शूद्रकुल में जन्मा है, लेकिन गुण उसके अच्छे हैं, फिर भी उसे शूद्र ही माना जाता था। भगवान महावीर ने मनुष्य के कर्म और स्वभाव के द्वारा उसकी उच्चता और निम्नता का मापदण्ड स्वीकार किया, जन्मना उच्चता और नीचता का नहीं। कर्म से ही मनुष्य ब्राह्मण होता है, कर्म से ही क्षत्रिय, कर्म से ही वैश्य और कर्म से ही शूद्र । महावीर के शब्दों में कम्मुणा बंभणो होई, कम्मुणा होई खत्तिओ। वइस्सो कम्मुणा होई, सुद्दो हवइ कम्मुणा ॥ तो जो लोग, जो पण्डित, जो पुरोहित जन्म से ही मनुष्य को ऊंच और नीच में विभक्त कर देते थे, महावीर स्वामी ने उसका उन्मूलन किया । आज गांधीवाद में भी यही बात है। गांधी ने जिन व्रतों को पालन करने का निर्देश दिया है, उनमें अस्पृश्यतानिवारण भी एक है । और, गांधी ने अपने सारे जीवन में इसीका सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किया। गांधी ने वास्तव में महावीर के कार्य को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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