Book Title: Samasya aur Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 22
________________ महावीर समाधान के वातायन में ब्रह्मरूप हैं तो लेना-देना क्या ? ग्वाला भारी अचम्भे में पड़ गया। बड़ी मुसीबत आ गई। गँवारू क्या समझे, मगर श्रम का फल इतना कड़वा हो सकता है, यह उसने सपने में भी नहीं सोचा था । ग्वाला दूसरे पंडित के पास गया वह पण्डित बौद्ध था। ग्वाले ने उससे गाय चराई के पैसे मांगे। बौद्धपण्डित वेदान्ती का यार निकला। उसने कहा, पैसा ? कौन सा पैसा ? जो तुमने गाय चराई थी, वह तो चली गई। क्योंकि हर वस्तु हर क्षण परिवर्तनशील है। इसलिए मेरी गाय हर क्षण नयी है। जिसे तुमने चराया, वह अब कहाँ ? इसलिए पैसा कुछ नहीं मिलेगा। अबकी बार तो उसकी हालत खस्ता हो गई बड़ा बौखला गया वह । गया अपने पुराने पड़ोसी के यहाँ सीधा । वह जैन था। ग्वाले ने सारी आपबीती सुनाई। तो उस जैन ने कहा-घबराने की कोई जरूरत नहीं। अभी तक तो दोनों गायें तुम्हारे ही पास है। तुम उन्हें गायें लौटाना मत । वे दोनों आखिर गायें मांगने आयेंगे तो वेदांती पण्डित को कह देना कि कौन-सी गाय ? जब सब ब्रह्मरूप है तो लेना-देना क्या ? और बौद्ध पण्डित को कह देना कि तुमने जो गाय चराने के लिए दी थी, वह अब कहाँ है, वह तो चली गयी । ये तो नयी है, कोई और है। ग्वाले के मस्तिष्क में बात जच गयी। उसे अच्छा समाधान मिला। उसने वैसा ही किया, जैसा उसे निर्देशन मिला। आखिर दोनों पंडितों ने पैसा देकर अपनी गायें प्राप्त की। महावीर का सिद्धान्त अचूक था और व्यवहारोचित भी। उनका मानना है कि प्रत्येक पदार्थ सत्ता के रूप में ध्रुव है और पर्याय की दृष्टि से हमेशा परिवर्तनशील है। ____महावीर ने एक और जिस समस्या का समाधान किया, वह है रूढ़िवादिता से मुक्ति । उस समय रूढ़िवादिता बड़े चरम उत्कर्ष पर थी। महावीर स्वामी ने थोथी रूढ़िवादिता से मुक्त होने का निर्देश दिया। इसीलिए महावीर का धर्म और महावीर के सारे उपदेश ही रूढ़िवाद के विरोधक थे। महावीर अन्धानुकरण और अन्ध विश्वास पर श्रद्धा नहीं रखते थे। वे कहते हैं कि अन्धविश्वास और अन्धानुकरण नहीं; आत्मानुकरण होना चाहिए, सम्यक् विश्वास होना चाहिये । सत्य का अनुसरण करना चाहिए किन्तु सत्य का सन्धान करके । जिधर भीड़ दिखती है, उधर मत दौड़ो। भीड़ अन्धी है। आंखें व्यक्ति की होती है, भीड़ के नहीं। भीड़ भेड़ों का टोला है। वह अनुकरण-प्रेमी है, फिर चाहे कूए में भी कूदना पड़े। यदि मनुष्य केवल भेड़ चाल की तरह रूढ़िवाद पर चलता रहेगा, वह कभी भी सत्य को उपलब्ध नहीं हो सकेगा। .. मैंने सुन रखा है कि एक साधक साधना कर रहा था। उसके एक पालतू बिल्ली थी। जब भी साधक साधना करने बैठता तो बिल्ली उसकी गोद में उछल-कूद करने लग जाती। साधक ने सोचा कि इसका क्या उपाय किया जाय ? उसने बिल्ली Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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