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मोक्ष : आज भी सम्भव
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भावमोक्ष है और सिद्धदशा द्रव्य मोक्ष है । यदि हिन्दू शास्त्रों की भाषा में कहूं तो,
भाव मोक्ष है जीवन - मुक्ति और द्रव्य मोक्ष है विदेह-मुक्ति । मोक्ष, बस मोक्ष है । उसको किसी उपमा के द्वारा नहीं समझाया जा सकता । कारण, मोक्ष अनुपम है । मोक्ष वस्तुतः अनिर्वचनीय है । भगवान महावीर ने आचारांगसूत्र में यही बात कही है कि 'वहाँ से सारे स्वर लौट आते हैं।' वहाँ तर्क की गुंजाइश नहीं है । वह बुद्धि का विषय नहीं है । वहाँ तक तो आत्मा की पहुंच है । और, आत्मा उसे अनुभव कर सकती है, व्यक्त नहीं । नारदसूत्र में नारद ने इसे कहा है का गुड़ । गूंगा जैसे गुड़ का रसास्वादन कर सकता है, उसका स्वाद कैसा है यह नहीं बता सकता, वैसे ही आत्मा मोक्षानुभव कर सकती है, उसे समझाना कहना शक्य नहीं है । मोक्ष कोई वस्तु तो है नहीं, जो उसे दिखाया जा सके, समझाया जा सके, छुआ जा सके । सचमुच, मोक्ष अनुपम है, अरूपी है, और सत्तावान है । मैं तो कहूंगा कि मोक्ष चेतना का समत्व है, परम शान्ति है, परम आनन्द है, आत्म पूर्णता है, परम पद है, अमृत पद है ।
अब यह समझें कि इस समय मोक्ष हो सकता है या नहीं । प्रश्न था कि जैनधर्म के अनुसार इस आरे में मोक्ष नहीं हो सकता ।
इस आरे में इसका मायना है पंचम आरे में । यानी इस समय मोक्ष होना असम्भव है - यह बात जैनाचार्यों ने कही । परवर्ती जैनाचार्यों ने । मैं इस प्रश्न को विचारणीय कह दूँ तो ज्यादा ठीक रहेगा । वास्तव में हमें सोचना है कि क्या इस समय मोक्ष नहीं हो सकता ? यह हमारी प्राचीन परम्परा रही है, यह कहने की कि जो अतीत में सम्भव था, वह वर्तमान में असम्भव है । जो-जो बातें भूतकाल में हो गयी, उन्हें हम कहते हैं कि वर्तमान काल में नहीं होगी । अतीत को किसी ने देखा नहीं है, अनदेखा ही कहते हैं । अतीत के बारे में सुना तो बहुत ज्यादा है कि बड़ा भव्य था अतीत काल, बड़ा सुनहरा था भूतकाल । अतीत की भव्यता के पीछे हम वर्तमान की दिव्यता को हटा देते हैं । अतीत काल भव्य रहा होगा, लेकिन वर्तमान काल भव्य नहीं है, यह बात कहना कोई वैज्ञानिक तथ्यपूर्ण नहीं है । जो चीज भूत काल में सम्भव थी, वह वर्तमान में भी सम्भव है और भविष्यकाल रहेगी । कोई भी चीज ऐसी नहीं है कि जिसका अतीत तो दिव्य रहे और वर्तमान भव्य न बने । किन्तु न केवल जैनधर्म में, अपितु संसार के प्रायः सभी धर्मों में यह बात कही गयी कि जो पहले हो गया, वह अब नहीं होगा । मोक्ष, जो पहले चले गये वे चले गये । अब मोक्ष नहीं जा सकते ।
में भी सम्भव
लेकिन थोड़ा हम दिमागी कसरत करके सोचें कि जो चीज पहले सम्भव थी, अब असम्भव क्यों है ? हाँ ! यह जरूर हो सकता है कि जो चीजें पहले असम्भव थी, वे अब सम्भव होने लग गयी हैं । आज का युग विज्ञान का युग है । और,
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