Book Title: Samasya aur Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 108
________________ मोक्ष : आज भी सम्भव वह अभी और यहीं मिलेगा। अभी यानि जीते जी। जो जीते जी नहीं मिला वह कभी नहीं मिल सकता है। यहीं यानि इसी जीवन में। अतः समय यही है कि हम मोक्ष पाने के लिए पुरुषार्थ करें। मैंने सुना है एक घर में चार चोर घुस गये। घर में दो भाई थे। एक सोया था आंगन में और एक सोया था छत पर। आँगन में सोया हुआ भाई जग गया चोर की आहट पाकर। आँगन वाले भाई ने सोचा कि हम तो हैं दो और चोर हैं चार । और, पता नहीं ये लोग अपने साथ क्या लाये हैं। हम कैसे सकेंगे इनके साथ ? बड़ा भाई छत पर सोया हुआ था। आवाज भी तो कैसे दे ? आखिर उसने अंगड़ाई ली और आवाज लगाई कि नारायण भाई नारायण, हम गंगा जी तो जायेंगे। चोरों ने देखा कि एक भाई जग गया है। चलो झट से एक कोने में छिप जायें और देखें कि ये लोग क्या करते हैं। उसने फिर आवाज लगाई कि नारायण भाई नारायण हम गंगाजी तो जाएंगे। ऊपर वाला भाई जग गया उसने सोचा कि गंगा जाने की कोई बात ही नहीं थी। आखिर क्या बात है। वह फिर चिल्लाया कि-. नारायण भाई नारायण हम गंगा जी तो जायेंगे। नारायण ने सोचा कि जरूर दाल में कुछ न कुछ काला है। नारायण ने कहा किहम गंगाजी तो जायेंगे पर घर किसको सम्भलायेंगे ? नीचे वाले भाई ने कहाचरखी बेची पूनी बेची, घर में आग लगायेंगे। पर नारायण भाई गंगा जी तो जायेंगे। बड़े भाई ने सोचा कि वास्तव में कुछ न कुछ रहस्यमय बात है। फिर उसने कहा कि. हम गंगा जी तो जायेंगे, पर मारग में क्या खायेंगे। हरि, जो छोटा भाई था, उसने कहा कि चोरी कर-कर खाएंगे, पर गंगा जी तो जाएंगे। जब यह आवाज जोर से गूंजी कि चोरी कर-कर खाएंगे। तो अचानक देखा कि बाहर से एक आवाज आयी कि चोरी कर-कर खाएंगे तो जूता फड़ा-फड़ पायेंगे। बात सही थी कि यदि चोरी करेंगे तो जूते भी पड़ेंगे। अरे ! कौन है यह कमीना, जो जूता मारेगा हमें । ' बोला, तेरा बाप है कोतवाल। कहा, हमको क्या जूता मारेगा, भीतर आ और देख, तेरे बाप को मार जूते । जो कि मेरे घर में आकर बैठे हुए हैं। कोतवाल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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