Book Title: Samasya aur Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 107
________________ ९८ मोक्ष : आज भी सम्भव हालांकि महावीर ने नियतिवाद को सर्वथा अस्वीकार नहीं किया था। खीर की हण्डी फूटने से पूर्व महावीर द्वारा गोशालक को यहबता देना कि हण्डी फूट जायेगी खीर पकने से पहले ही, तो यह घटना नियतिवाद समर्थक हो गयी। मुझे तो लगता है कि महावीर नियति और पुरुषार्थ के समन्वयकारक साधक थे। ___ यदि हम नियति को ही आधारभूत मानेंगे, तब तो कोई भी व्यक्ति मोक्ष के लिए पुरुषार्थ करेगा ही नहीं। नियति के आदेशानुसार तो व्यक्ति का बन्धन और मोक्ष सब निश्चित है। बैठे रहो सब यहीं निठल्ले की तरह। सोये रहो आम के पेड़ नीचे, और यह माला फेरते रहो, कि भाग्य में होगा, तो आम अपने आप मुंह में गिर जायेगा। वह कहानी सुनी होगी कि इसी मत का अनुयायी पेड़ के नीचे सोया रहा, पर उसे आम नहीं मिला। सोये-सोये जब नींद आ गई और वापस जब आँख खुली तो पाया कि मुंह पर कुत्ता पेशाब कर रहा है। वस्तुतः नियति के भरोसे आदमी परतन्त्र हो जाता है, और पुरुषार्थ के भरोसे स्वतन्त्र । मोक्ष उपलब्ध पुरुषार्थ से ही होगा। इस बात को भूल जाओ कि मोक्ष अभी होगा कि नहीं, पुरुषार्थ करते रहो मोक्ष के लिए पुरुषार्थ से मुंह मत मोड़ो। यह तो अहोभाग्य समझिए कि आपको अवसर मिला है, मोक्ष पाने के लिए मानव-जन्म मिला है। . जैसे मानव जीवन कठिनाई से मिलता है, वैसे ही अवसर भी कम मिलते हैं। मोक्ष पाने के लिए मानव-जीवन का कीमती अवसर मिल गया है तो बाज की तरह टूट पड़ें उस कबूतर पर । अन्यथा बाद में केवल पछतावा रहेगा। पर चिडिया खेत चुग गई तो बाद में उसे उड़ाने से कोई लाभ नहीं। कृषि सूखने के बाद वर्षा होना जैसे निरर्थक है, वैसे ही अवसर खोने के बाद उसके लिए प्रायश्चित करना। जीवन की सांसों के संग मरण भी लिपटा हुआ है। सासों का उपयोग जीते-जी हो सकता है, मरने के बाद नहीं। जीवन के अन्तिम परिणाम दो ही होते हैं। या तो मौत या मोक्ष दो ही चीज हो सकती है। यदि मोक्ष है ही नहीं, मौत ही है तो जीना बेकार है। पचास साल बाद मरें और आज मरें दोनों में एक ही बात है। जीते इसलिए हैं ताकि पुरुषार्थ करके मोक्ष को पा सकें। मरना ही अन्तिम है और सब मरते ही गये हैं यह बात गलत है। मोक्ष आज किसी को नहीं मिल सकता तो पैदा होना भी कोई काम का नहीं है। मौत तो अन्तिम परिणाम है जीवन का। यदि हम इस जीवन में अमरता को नही पा सकते-अरबों, खरबों, असंख्य वर्षों के बाद पायेंगे, तो हमारा जीवन लेना यह हमारा मनुष्य जन्म, यह महिमा पूर्ण जीवन क्या उपयोगी हो पायेगा ? नहीं। समय यही है मोक्ष को पाने का यहीं पायेंगे ! अभी पायेंगे। मोक्ष पायेंगे संसार से और हम अभी संसार में हैं। मोक्ष यानि मुक्ति/संसार से मोक्ष पाना है जीते जी, मरने के बाद कुछ नहीं बचेगा। राख और खाक ही बचेगा। जीते जी मोक्ष मिलेगा और Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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