Book Title: Samasya aur Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 30
________________ चमत्कार : एक भ्रमजाल को स्वीकार नहीं करता और महावीर भी। विज्ञान और महावीर एक ही तराजू के दो पलड़े हैं। महावीर ने अपने युग में जो क्रान्ति मचाई, वह यह थी कि उन्होंने चमत्कारों का विरोध किया। महावीर ने जितनी भी क्रांति मचाई, वह सब चमत्कार को लेकर ही। उनकी अभिलाषा थी कि लोगों की अन्धनिष्ठा दूर हो और वे सत्य के आलोक में प्रामाणिक जीवन बीता सके। उस समय चमत्कार के वशीभूत होकर ही यज्ञ होते थे, बलि दी जाती थी, क्रियाकाण्ड होते थे, अकर्मण्यता पनपी, पुरुषार्थ का पतन हुआ- सबके सब चमत्कार के वशीभूत होकर ही। महावीर स्वामी की दृष्टि में चमत्कार कोई चीज नहीं है। उन्होंने चमत्कार को बिल्कुल इन्कार कर दिया। दुनिया में जितने भी महापुरुष हुए कोई भी महापुरुष चमत्कार नहीं दिखा पाये। किसी ने भी कभी चमत्कार नहीं दिखाया आज तक, चाहे हम महावीर को लें. चाहे बुद्ध को लें, चाहे ईसा को लें, सुकरात को लें, पायथागोरस को लें। किसी ने चमत्कार नहीं दिखाया । रामकृष्णपरमहंस, विवेकानन्द, महर्षि आनन्द योगी, रजनीश जैसे भी चमत्कार न दिखा पाये। सुकरात को जहर का प्याला पिलाया गया, लेकिन वे उसे अमृत में न बदल पाये। ईसा को जिन्दा शूली पर चढ़ा दिया गया। ईसा जैसे महापुरुष को शूली पर चढ़ा दिया जाय, उससे बड़ा चमत्कार और क्या हो सकता है ? महावीर के कानों में कीलें ठोकी गयीं। कितना अत्याचार किया था लोगों ने महावीर पर। मारा, पीटा, घसीटा, गालियाँ दी उन्हें। स्वामी रामकृष्ण परमहंस मरते दम तक पीड़ित रहे। कैन्सर हो गया, लेकिन वे भी चमत्कार न दिखा पाये। साध्वी विचक्षणश्री को भी वर्षों कैन्सर रहा बड़ी महत्त्वपूर्ण और समाधिस्थ स्त्री थी वह. राबिया वसी जैसी ही थी मगर भोगना पड़ा। पुराना युग तो चमत्कारों का ही युग था। इसलिये जहाँ भी गुंजाइश लगती, लोग चमत्कार को जोड़ देते, और फिर बातों का बतंगड़-तिल का ताड़ बना डालते। यदि चमत्कार पहले होते तो आज भी होने चाहिए। और, बड़े खलेआमसार्वजनिक तथा सार्वभौम होने चाहिये। ताकि एडरशन जैसे बौद्धिकवादी लोगों को स्पष्टता मिल जाये। ___ चमत्कार का मतलब है जो असम्भव है, उसे सम्भव करना। असम्भव को सम्भव करना ही चमत्कार है। प्रगतिशील दुनिया में ऐसी कोई भी चीज नहीं है, तथ्य नहीं है, जो असम्भव हो । मैक्समूलर बड़ा गजब का व्यक्ति था। सैकड़ों महान ग्रन्थ उसने अकेले रचे। उसने कहा कि हमें शब्दकोश से 'इम्पोशिबल' शब्द को हटा देना चाहिये । क्योंकि कोई भी ऐसी वस्तु नहीं है जो 'इम्पोसिबल' हो । 'एव्रीथिंग इज पोसिबल'-सब सम्भव है, असम्भव कुछ भी नहीं है। असम्भव शब्द को रखना Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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