Book Title: Samasya aur Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 36
________________ चमत्कार : एक भ्रमजाल कार्य करते हैं, भविष्यवाणियाँ करते हैं उन्हें स्वयं का भविष्य भी पता नहीं है । सिद्धिदायिनी मनवांछित फलदायिनी, अमृतदायिनी अंगूठियाँ सिद्ध करके बेचनेवाले खुद महागरीब हैं । वे अंगुठियाँ उनकी अंगूठियों को बेचने की इच्छा को पूरा नहीं कर पातीं, इसीलिए तो ये लोग अखबारों में, पत्रिकाओं में विज्ञापन छपाते हैं । जो अंगूठी स्वश्रेयस्कर सिद्ध नहीं हुई वह जनश्रेयस्कर कभी नहीं हो सकती । टोना-टोटका - अन्तर-मन्तर - चमत्कार इन सब को वही व्यक्ति पसन्द करेगा, जो बिना साधना के सिद्धि चाहता है, बिना प्रयास के फल की कामना करता है, खाने का श्रम किये बिना पेट भरना चाहता है । लोग फल को महत्ता देते हैं, कर्म की उपेक्षा कर देते हैं । गीता में तो कर्मशीलता पर बहुत प्रकाश डाला गया है । गीता भवन है तो कर्मशीलता का उपदेश उस भवन की नींव है । निष्कर्मशीलता तो परित्याज्य है । हम जब निरुपाय बैठे हैं, कौन हरे पथ की बाधाएँ ? २७ भीतर से परतन्त्र हुए जब, धूमिल हुई सकल आशाएं । हम जादू देखने के लिए जादूघर में जाते हैं, बहुत बार जाते हैं । यही सुनते हैं कि वह जादू करेगा, एक आश्चर्य होगा, लेकिन जादूगर अपना जादू शुरु करने से पहले यह कह देता है कि यहाँ जादू नहीं, केवल हाथ की सफाई है । कहता है कि मैं सिर्फ हाथ की सफाई, हाथ की कला दिखाता हूं । नहीं है । वह स्वयं यह जादू कुछ भी Jain Education International सामने और समीपता अहमदाबाद में मैं जादूगर के० लाल के यहाँ गया था, गौचरी के समय । दो भाई हैं वे । दोनों जाने-माने और प्रसिद्ध जादूगर हैं - अन्तर्राष्ट्रीय | हमसे वे अच्छा स्नेह रखते थे । मैंने एक दिन उन्हें कहा कि आजे तमे अमने पण कोईक जादू जोवावो, पण एक शतं छे के आंखों नी सामे अने नजीक थी । यानी आज आप हमें भी कोई जादू दिखायें, लेकिन एक शर्त साथ में है कि आँखों के से दिखायें । उन्होंने उस समय बात टाल दी । मैंने सोचा कि आज उनका मूड नहीं होगा । अगले सप्ताह मैंने फिर उनसे अपनी बात कही । उस दिन के० लाल भाई नहीं थे, विदेश गये हुए थे, जादू के करिश्मे दिखाने । उनके भाई थे । उन्होंने मुझे कहा, 'हूं तमारी सामे असत्य न बोलीश । खरेखर, जादू माँ कोई मन्त्र शक्ति के आवी कोई वस्तु नथी । ए तो फक्त हाथ नी सफाई छे अने हाथ नी सफाई नजीक थी केम जोवाई सकाय । तो उनका कहना स्पष्ट था कि जादू में कोई मन्त्र - शक्ति या ऐसी कोई वस्तु नहीं है । यह तो केवल हाथ की सफाई है, हाथ की करामात है और वह मंच पर सम्भव हैं, निकटता से नहीं । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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