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चमत्कार : एक भ्रमजाल
के. लाल को छोड़ें. सभी जादूगरों ने इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि जादू एक सतत अभ्यास है। फुर्तीलापन, मस्तिष्क की प्रखरता और हाथ की सफाई—यही जादू के प्राण हैं। 'कादम्बिनी' का नया 'जादू विशेषांक' तो आप लोगों ने पढ़ा-देखा ही होगा। सभी महान जादूगरों के विषय में उसमें सूचनाएं दी गई हैं और उनके अनुभव उसमें संकलित हैं। डण्डे को फूल में बदलना, हाथ से राख निकालना, टोपी में से कबूत्तर उड़ाना, गला काटकर वापस जिन्दा कर देना. पुरुष को स्त्री बना देना-इन सबको जादू या चमत्कार मानें ऐसी कोई चीज नहीं है। केवल हाथ की सफाई है भ्रमजाल की रचना है, जो जादू मैं दिखाता हूं वह जादू तुम भी कर सकते हो। मात्र अभ्यास की जरूरत है जो जादू हर व्यक्ति कर सकता है वह चमत्कार नहीं है। असम्भव कार्य तो वहाँ है जिसे कोई अकेला कर सकता है. उसके अलावा और कोई नहीं कर सकता । तब तो कह सकते हैं कि चमत्कार है अन्यथा चमत्कार नहीं है।
चमत्कार तो वह हैं कि जहाँ पचास डिग्री पर पानी भाप बन जाये, चमत्कार तो वहाँ है जहाँ एक सौ पचास डिग्री पर पानी भाप न बने लेकिन महावीर स्वामी तो बिलकूल अडिग हैं। वे कहते हैं कि पचास डिग्री पर पानी कभी भाप नहीं होगा, और एक सौ पचास डिग्री पर पानी बचेगा ही नहीं। सौ डिग्री पर पानी भाप बन जायेगा महावीर का तो फार्मूला यही है कि सौ डिग्री पर पानी भाप बनता है। वैज्ञानिक बुद्धि का व्यक्ति महावीर से बिलकुल सहमत है। वह चमत्कार को कभी स्वीकार नहीं करेगा। महावीर स्वामी के जीवन में एक भी ऐसा प्रसंग नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि भगवान महावीर चमत्कार में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कभी भी चमत्कार नहीं दिखाया। वे परम ज्ञान के धनी थे फिर भी कभी चमत्कार दिखाया हो ऐसा कहीं ज्ञात नहीं हुआ।
____महावीर जन्म से पहले एक ब्राह्मणी की कुक्षी में थे। महावीर तीर्थकर हैं। तीर्थ कर कभी चमत्कार को स्वीकार नहीं करते। तो महावीर ब्राह्मणी के कुक्षी से महावीर का जन्म नहीं हो सकता. उसके लिए क्षत्रिय का खून चाहिए। युद्ध के मैदान में यदि कोई व्यक्ति चमत्कार दिखाता भी है तो क्षत्रिय चमत्कार को नहीं देखता, वह तो उसे भ्रमजाल समझता है और युद्ध करता ही चला जाता है। इस चमत्कार के विरोध के लिए ही दुनिया का पहला ऑपरेशन हुआ। महावीर के पच्चीस सौ वर्ष बाद जो गर्भ-परिवर्तन की बात प्रगट हुई, उसे महावीर के जीवन-यज्ञ में सहजतः देखी जा सकती है। गर्भ-परिवर्तन के विज्ञान का सूत्रपात महावीर से हुआ और ब्राह्मणी का गर्भ क्षत्रियाणी की कुक्षि में आया बहुत से लोग महावीर स्वामी के गर्भ-स्थानान्तरण को चमत्कार मानते हैं। लेकिन यह चमत्कार नहीं है। आज तो हर डाक्टर यह चमत्कार दिखा सकता है । हर विशिष्ट चिकित्सक में यह चमत्कार दिखाने की शक्ति है। तब हम कैसे माने कि यह कोई बहुत बड़ा चमत्कार है।
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