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स्तोत्र-मंत्र-महिमा स्तोत्र शक्तिसे मंत्रशक्ति कइ गुणी बलवान होती है। जैन धर्ममें तो मंत्र महिमाको विशेष महत्व दिया गया है, इसी लिये हरएक क्रियामें ध्यान करनेके लिये “नवकारमंत्र" बताया गया है जिसके कइ भेद हैं जो सविस्तर "श्री नवकार महामंत्र कल्प" नामकी पुस्तकमें प्रकाशित हो चुके हैं। __ मंत्र शब्द जिस जगह आता है वहां ध्याता पुरुषको श्रद्धा हो जाती है और वह समझता है कि मंत्र है तो कोई अपूर्व शक्तिका समावेश होना चाहिये । मंत्र शास्त्रमें जैनाचार्योंकी निपुणता तो जग प्रसिद्ध है । पूर्वाचार्योंने मंत्रशक्ति का वर्णन करते हुए बहुतसे सूत्र ग्रन्थ प्रतिपादित कर जनताको यह बताया है कि मंत्रबलसे कठिन कार्यभी सिद्ध हो जाते हैं, वैसे सूत्र ग्रन्थोंके नाम इस प्रकार हैं । (१) अरुणोववाइ सूत्र-इस सूत्रमें अरुणदेवको प्रसन्न
करनेका बयान किया गया है। (२) वरुणोववाई सूत्र- इस सूत्रसे यह सिद्ध कर बताया
है कि मंत्रके आराधनसे वरुणदेवता किस तरह प्रसन्न
होते हैं। (३) गुरुलोववाई सूत्र-इसमें यह बताया है कि एकाग्रता
पूर्वक इसका पठन करे तो व्यंतरदेव प्रसन्न होते हैं। (४) धरुणोववाई सूत्र-इसमें यह तरकीब बताई गई है
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