Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir D ऋषि मंडल-स्तोत्र कामागा कामबाणा च,-सानंदानंदमालिनी ॥ माया मायाविनी रौद्री, कला-काली-कलिप्रियाः ४७ एताःसर्वा महादेव्यो,-वर्तन्ते-या-जगत्रये ॥ मह्यं सर्वा प्रयच्छन्तु, कान्ति कीर्ति घृति मतिं ४८ दिव्यो गोप्यः स दुःप्राप्याः-श्रीऋषिमंडलस्तवः॥ भाषित स्तीर्थनाथेन,-जगत्राणकृतेनघः ॥ ४९ ॥ रणे राजकुले वन्ही,-जले दुर्गे गजे हरौ ॥ श्मशाने विपिने घोरे,-स्मृतो रक्षतु मानवं॥५०॥ राज्यभ्रष्टा निजं राज्यं,-पदभ्रष्टा निजपदं ॥ लक्ष्मीभ्रष्टा निजां लक्ष्मी,-प्राप्नुवन्ति-न-संशयः५१ भार्यार्थी लभते भार्या, पुत्रार्थी लभते सुतं, वित्तार्थी लभते वित्तं, नरः स्मरणमात्रतः ॥५२॥ स्वर्णे रुप्ये पट्टे कांस्ये,-लिखित्वा यस्तु पुज्यते ॥ तस्यैवाष्टमहासिद्धि, गृहे वसति शाश्वती ॥५३॥ भूर्जपत्रे लिखित्वेदं.-गलके मूििद्ध-वा-भुजे॥ धारितं सर्वदा दिव्यं-सर्वभीतिविनाशकं ॥५४॥ For Private and Personal Use Only

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