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ऋषिमंडल ध्यान विधि
---- --- यह तो प्रसिद्ध बात है कि मंत्र साधनाकी सिद्धि के लिये ध्यानभी एक मुख्य अंग है, और साधक पुरुष ध्यान क्रियामें निपुण हो तो सिद्धि प्राप्त करता सहज बात है। ध्यान करने वाले को एकाग्रताके लिये अथवा जिनका ध्यान किया जाता है उनके उपर एकनिष्ठ होनेके हेतु नेत्र कमल बंध कर ध्यान मग्न होना चाहिए । मनको साफ रखे ममता मायाका त्याग करे और समभाव आलम्बित होकर विषयादि कुविकल्पोंसे विराम पाकर सम परिणामी बना रहे तो लाभका हेतु है । जिन पुरुषोंको समभाव गुण प्राप्त नही हुवा है उन पुरुषोंको ध्यान करते समय अनेक प्रकारकी बिटम्बनायें उपस्थित हो जाती हैं, और साध्य बिन्दु सिद्ध होनेमे विलम्ब हो जाता है, इस लिये ध्यानके कार्यमे प्रवेश करते समय सम परिणामी हानेका अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि सम परिणाम आये बिना वास्तविक ध्यान नही हो पाता. और बिना ध्यानके निष्कम्प समता नही आ सकती इस तरह अन्योन्य कारण हैं।
साधक पुरुषको चाहिए कि समता गुणमें झुलता हुवा ध्यानका अभ्यास करे । ध्यान करते समय स्थान, शरीर,
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