Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 91
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ७० ऋषिमंडल - स्तोत्र हलुकर्मी श्रद्धावंत जीवों की संसारमें कमी नही है, और एसे उत्तम जीव पुन्यानुबंधी पुन्य वालोंको सिद्धि प्राप्त होना संभवित है, तथापि ऋषिमंडल के सत्तावन में श्लोक को बताकर इस स्तोत्रकी आना नही बताना यह तो इस कालमें अनिच्छनिय है । जबके स्तोत्रयंत्र बहुत से प्रकाशित हो चुके हैं तो फिर आम्ना को गुप्त रखना बेसूद है । अतः जो आम्ना प्राप्त हुई है उसे पाठकों के सामने रखते हैं, और साथमे यह दावा भी नही करते कि इसके सिवाय और आम्ना है ही नही होगा हमे इसमें हठवाद नही है, ज्ञानियोंका ज्ञान अनंत है । लेकिन जिस प्रकारका संग्रह कर पाये हैं उसीको पाठकों के सामने रखते हैं, पाठक ध्यान पूर्वक समझ लेवे । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१) प्रथम तो ऋषिमंडल मूलमंत्रमें नौवें श्लोक द्वारा ease क्ष बताये हैं, और उसके साथ आद्यमें ॐ लगाकर मंत्र बोला जाय तो अट्ठाइस अक्षर होते हैं । लेकिन मंत्रशास्त्रमें ॐ को मंत्रोंका प्राण बताया है, और ॐ अवश्य लगाना चाहिए इसको गिनतीमें लेनेकी आवश्यकता नहीं है । (२) ऋषिमंडल के मूलमंत्रका आराधन करने वालोंको अंतमें ही लगाकर नमः पल्लव लगानेका विधान बताया 'गया है । नमः पल्लव शान्तिदाता है. इस नमः पल्लवका विशेष प्रकाश करनेके लिये साथ ही " स्वाहा " लगाया जाय तो For Private and Personal Use Only

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