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॥ उत्तर क्रिया विधि॥
... ऋषिमंडल मंत्रका ध्यान करने के बाद उत्तर क्रिया करने के लिये जो विधि बताई गई है जिसका विवरण इस मुवाफिक है।
वैसे तो किसी कार्य के निमित्त मूल मंत्रका जाप आठ हजार करना बताया है, और कोई साडेबारह हजार करते हैं कोई सवा लाख जाप करते हैं। कितने भी करो लेकिन उत्तर क्रिया सबको करना चाहिए। उत्तर क्रिया में दशांश अथवा षोडांश जाप हवन करके करना चाहिए । एसे हवन का शुभ दिन लेकर एक चोकोर मंडप बनावे जिसको ध्वजा पताका व मंगलिक वस्तुओंसे सुशोभित करे और मडपमें कोई अन्य पुरुष न आ सके एसी व्यवस्था करे जिस मंडपको हवन करने के निमित्त बनाया जाय वह न तो बहुत बडा होना चाहिए और न छोटा होना चाहिए द्रव्य क्षेत्र अनुसार मंडप बनवाकर उसके ठीक मध्यमें हवन कुंड बनवाया जावे। हवन कुंड में मिट्टीकी इंटें जो कच्ची अर्थात बिना पकाई हुई हो काममें लेवे।
हवनकुंड चौकोर लगभग एक हाथ लम्बा चौडा बनवाया जाय और सारे मंडप को शुद्ध बनाकर उसमे दश
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