Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 99
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७८ ऋषिमंडल-स्तोत्र बांध कर अंगुष्ट को तर्जनी व मध्यमा के बीच में निकाले और बादमें आहाहन मंत्र इस तरह बोलना। ___ॐ आँ जाँ ही श्री भगवत शांतिनाथाय अत्र स्नात्रपीठे आगच्छत । संबोषट। ॥ (१०) स्थापना ॥ ॐ आँ काँ हाँ श्री शान्तिनाथ अत्रपीठेतिष्ठः ठः ठः॥ इस मंत्रद्वारा स्थापना करना चाहिए । ॥ (११) सन्निधान ॥ ॐ आँ काँ ह्रीं श्री भगवतः शान्तिनाथ ममसनिहिता भवंतवषट ॥ ___सन्निधान करते समय मुष्टि बांध कर अंगुष्ट को उंचा रखना चाहिए। ॥ (१२) सन्निरोध ॥ ॐ आँ क्रॉ ही श्री भगवतः शान्तिनाथाय पूनांतं यावद्वष्टांत्व्यं ॥ सन्निरोध करते समय मुष्टि बांधकर अंगुष्ट को मुष्टि के अन्दर रखना चाहिए। For Private and Personal Use Only

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