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सकलीकरण
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५५.
मस्तक शुद्धि मंत्र
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॥ ॐ नमो भगवती ज्ञानमूर्तिः सप्तशतक्षुलकादि महाविद्याधिपतिः विश्वरुपिणी हाँ है क्षौ क्षा ॐ शिरस्त्राणपवि - त्रीकरणं ॐ णमो अरिहन्ताणं हृदयं रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा ॥ इस मंत्रद्वारा मस्तक निर्मल करना और शुद्ध हृदयसे यथासाध्य जाप करते जाना जिससे मंत्र तत्काल सिद्ध होता है। ॥ मस्तक रक्षा मंत्र ॥
ॐ णमो सिद्धाणं हर हर विशिरा रक्ष रक्ष हूँ फट्
स्वाहा ॥
इस मंत्रद्वारा मस्तक रक्षाकी भावना रख बोलते समय मस्तक पर हाथ लगाना चाहिए ।
|| शिखा बन्धन मंत्र ॥
ॐ णमो आयरियाणं शिखां रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा । इस मंत्रद्वारा शिखाको पवित्र करके, चोट्टीके केशों (बाल) को बांधना चाहिए, वांधते समय बालोंमें गांठ नही लगाना और यूंही लपेटकर स्थिर करदेना चाहिए । ॥ मुखरक्षा मंत्र ॥
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॥ ॐ णमो उवज्झायाणं एहि एहि भगवति वज्रवकवचं वज्रणि रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा ॥