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ऋषि-मंडल स्तोत्र इस मंत्रको बोलते समय मुखके तमाम अवयवोंकी रक्षाके हेतु भावना भायी जाय ।
॥ इन्द्रस्य कवच मंत्र ॥
ॐ णमो लोए सव्वसाहूणं क्षिप्रं साधय साधय वज्र हस्ते शूलिनि दुष्टं रक्ष रक्ष आत्मानं रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा। ____ मंत्र जाप करते समये देवकृत उपद्रव अथवा अन्य भीति उपस्थित न होने के लिये भावना की जाय जिससे किसी तरहका उपद्रव न होने पावे ।
॥परिवार रक्षा मंत्र ॥
॥ ॐ अरिहय सर्व रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा ॥
इस मन्त्रद्वारा कुटुम्ब-परिवारकी रक्षा के लिये प्रार्थना करना, जिससे मंत्रको सिद्ध करनेके समय किसीभी तरहका परिवार उपद्रव न होने पावे और मंत्रको साधन करनेका समय निर्विघ्नतासे व्यतीत हो जाय ।
॥ उपद्रव शांति मंत्र॥
॥ॐ ह्री क्षी फट् स्वाहा किटि किटि घातय घातय परविज्ञान छिन्दि छिन्द्धि परमंत्रान् भिन्द्धि भिन्द्धि क्षः फट् स्वाहा ॥
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