Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 75
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४ ऋषि मंडल-स्तोत्र हृदय शुद्धि मन्त्र ॥ ॐ ऋषभेण पवित्रेण पवित्रोकृत्य आत्मानं पुनीमहे स्वाहा ॥ __इस मंत्र का जाप करते समय दाहिने हाथ को हृदय पर रख कर अन्तःकरण को शुद्ध बनाने की भावना रखना चाहिए । ईर्ष्या, द्वेष, कुविकल्प, क्रोध, मान, माया, और लोभका त्याग करना झूठ नहीं बोलना और एसे कामों से दूर रहना चाहिए। मुख पवित्र करण मन्त्र ॥ॐ नमो भगवते झौं ह्री चन्द्रप्रभाय चन्द्रमहिताय चन्द्र मूर्तये सर्वसुखप्रदायिने स्वाहा ॥ इस मंत्र द्वारा निजके मुख कमल को पवित्र बनाना चाहिए, और गम्भीरता, सरलता, नम्रता, आदि का भाव रखना चाहिए। चक्षु पवित्र करण मन्त्र ॥ ॐ ह्रीं क्षी मुहामुद्रे कपिलशिखे हूँ फट् स्वाहाः॥ इस मंत्र द्वारा निज के नेत्रों को पवित्र करना और नेत्रों में स्नेहभाव सरलताका प्रकाश होएसे भाव बनाकर नैत्र पवित्र करना चाहिये। For Private and Personal Use Only

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