Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषिमंडल सकलीकरण ५३ पहिनने के वस्त्र आदिको मन्त्रित कर के तमाम सामग्री को शुद्ध बना लेना चाहिए। कवच निर्मल मंत्र ॐ ह्री श्री वद वद वाग्वादिन्यै नमः स्वाहा ॥ इस मंत्र के जाप से कवच याने यंत्र अथवा यंत्र वाला मादलिया यदि पास में रखने को कराया हो तो इस मन्त्र द्वारा शुद्ध कर लेना चाहिए। हस्त निर्मल मंत्र ॐ नमो अरिहन्ताणं श्रुतदेवि प्रशस्त हस्ते हूँ फट् स्वाहा इस मंत्र का जाप करते समय हाथों को धूप के धुंवे पर रख कर निर्मल कर लेवे । काय शुद्धि मन्त्र ॥ ॐ णमो ॐ ही सर्वपापक्षयंकरि ज्वालासहस्रप्रज्वलिते मत्पापं जहि जहि दह दह क्षाँक्षी ऑक्षौ क्षः क्षीरधवले अमृतसंभवे बधान बधान हूँ फट् स्वाहा ।। इस मंत्र द्वारा शरीर को पवित्र बनाना चाहिए और साथ ही अन्तकरण को भी निर्मल रखने का प्रयत्न करना जिस से तत्काल सिद्धि होगी। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111