Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्तोत्र-मंत्र-महिमा १७ भतैःप्रेतैर्भहेर्यक्षः-पिशाचैर्मुद्गलैर्मलैः ॥ वातपित्तकफोद्रेक, र्मुच्यते नात्र संशयः ॥ ५५ ॥ भूर्भुवः स्वस्त्रयीपीठ-वर्तिनः शाश्वता जिनाः॥ तैः स्तुतैर्वदितैर्दष्टे, यत्फलं तत्फलं श्रुतौ ॥५६॥ एतगोप्यं महास्तोत्रं,न देयं-यस्य कस्यचित् ॥ मिथ्यात्ववासिने दत्ते, बालहत्या पदे पदे ॥१७॥ आचाम्लादितपः कृत्वा, पूजयित्वा जिनावलीं। अष्टसाहस्त्रिको जापः कार्यस्तत्सिद्धिहेतवे ॥५८ ॥ शतमष्टोतरं प्रात, ये पठन्ति दिनेदिने ॥ तेषां-न-व्याधयो देहे, प्रभवन्ति न चापदः ॥५९॥ अष्टमासावधिं यावत्,-प्रातः प्रातस्तु यः पठेत्॥ स्तोत्रमैतन्महांस्तेजो,-जिनबिंबंस-पश्यति ॥६०॥ दृष्टे सत्यहतो बिंबे,-भवेत्सप्तमके ध्रुवं ॥ पदमाप्नोति शुद्धात्मा, परमानन्दनन्दितः ॥ ६१॥ विश्ववंद्यो भवेत् ध्याता, कल्याणानि च सोनते॥ गत्वा स्थानं परं सोपि-भयस्तु-न-निवर्तते ॥२॥ इदं स्तोत्रं महास्तोत्रं-स्तुतीनामुत्तमं परं ॥ पठनात्स्मरणाजापात्-लभ्यते पदमुत्तमं ॥६३॥ For Private and Personal Use Only

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