Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि मंडल - स्तोत्र देवदेवस्य यच्चक्रं, - तस्य चक्रस्य - या - प्रभा ॥ तया छादित सर्वांगं, मा - मां - हिंसंतु सिंहकाः ३९ देवदेवस्य यच्चक्रं, तस्य चक्रस्य - या - प्रभा ॥ तया छादित सर्वांगं, मा - मां हिंसंतु दुर्जनाः ४० देवदेवस्य यच्चक्रं तस्य चक्रस्य - या - प्रभा ॥ तया छादित सर्वांगं, मा-मां - हिंसंतु भूमिपाः ४१ श्रीगौतमस्य - या - मुद्रा, तस्या - या भुवि लब्धयः ॥ ताभिरभ्युद्यतज्योतिरहः सर्वनिधीश्वरः ॥ ४२ ॥ पातालवासिनो देवाः - देवा - भूपीठवासिनः ॥ स्वर्वासिनो पि-ये देवाः - सर्वेरक्षन्तु मामितः ४३ येवधिलब्धयो-ये-तु-परमावधिलब्धयः ॥ ते सर्वे मुनयो देवा - मां - संरक्षय सर्वदा ||४४॥ दुर्जना भूतवैतालाः पिशाचा मुद्गलास्तथा ॥ ते सर्वेप्युपशाम्यन्तु - देवदेवप्रभावतः ॥४५॥ For Private and Personal Use Only १५ ओ ह्री श्रीश्च धृतिर्लक्ष्मी, - गोरी चण्डी सरस्वती । जयाम्बा विजया नित्या, क्लिन्नाजितामदद्रवा ॥ ४६ ॥

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