Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि मंडल-स्तोत्र-भावार्थ भावार्थ-अहे शब्द ब्रह्मवाचक है, और पांच परमेष्टिरुप सिद्धचक्रका सद्बीज है; जिसको सर्व प्रकारसे नमस्कार करता हूं। ॐ नमोर्हद्भ्य ईशेभ्यः ॐ सिद्धेभ्यो नमोनमः ॐ नमःसर्वसूरिभ्यः उपाध्यायेभ्य ॐ नमः ॥४॥ भावार्थ -ॐ के साथ श्री अर्हन् भगवान-ईश्वर-सिद्ध भगवान सर्व आचार्य महाराज व उपाध्याय महाराजको वंदन करता हूं। ॐ नमः सर्व साधुभ्यः ॐज्ञानेभ्यो नमोनमः॥ ॐ नमःस्तत्वदृष्टिभ्यश्चारित्रेभ्यस्तु-ॐ नमः ॥५॥ ____ भावार्थ—सर्व साधू महाराज सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान व तत्त्वदृष्टि वाले सम्यक् चारित्र को वन्दन करता हूं। श्रेयसेस्तु श्रियेस्त्वेतदर्हदाद्यष्टकं शुभं ॥ स्थानेष्वष्टसु विन्यस्तं, पृथग्बीज समन्वितं ॥६॥ भावार्थ-अर्हन्त आदि आठों पद श्रेयके करने वाले हैं, जिनकी बीजाक्षर सहित आठों दिशामें स्थापना की जाती है, जो कल्याणकारी-सुख सौभाग्य और लक्ष्मी सम्पादन कराने बाले हों। आद्यं पदं शिखां रक्षेत्, परं रक्षतु मस्तकं ॥ तृतीयं रक्षेन्नेत्रे द्वे,-तुर्यं रक्षेच नासिकां ॥७॥ For Private and Personal Use Only

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