Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org www.ko Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि मंडल-स्तोत्र-भावार्थ किया करे तो उस मनुष्यके घरमें आठ प्रकारकी सिद्धि हमेशाके लिये निवास करती है। भूर्जपत्रे लिखित्वेदं.-गलके मूर्भि-वा-भुजे॥ धारितं सर्वदा दिव्यं-सर्वभीतिविनाशकं ॥५४॥ ____ भावार्थ-इस स्तोत्रके यंत्रको भोजपत्र पर लिख कर गलेमें या चोटी याने शिखाके बांध देवे या हाथकी भुजाके बांधे तो सर्व प्रकारके भय मिट जाते हैं और आपत्तिका नाश होता है। भूतैः प्रेतैर्ग्रहैर्यक्षैः-पिशाचैमुद्गलैर्मलैः ॥ वातापित्तकफोद्रेक,मुच्यते नात्र संशयः॥५५॥ ___ भावार्थ-भूत प्रेत ग्रह गोचर यक्ष पिशाच राक्षस और वात पित्त कफ आदिसे जो पीडा होनेवाली हो उससे बच जाता है इसमें किसी प्रकारका संदेह नही है। भूर्भुवः स्वस्त्रयीपीठ-वर्तिनः शाश्वता जिनाः ॥ तैः स्तुतैर्वदितैर्दष्टै, यत्फलं तत्फलं श्रुतौ ॥५६॥ ___ भावार्थ-तीनो लोक याने (१) अधोलोक, (२) मध्य लौक, और (३) उर्ध्व लोक एसे तीनो लोकमे जो शाश्वता जिन चैत्य हैं उनकी स्तुति वन्दना आदिसे जो फल मिलता है, उसी तरहका लाभ इस स्तोत्रका पाठ करनेसे होता है। For Private and Personal Use Only

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