Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६ ऋषि - मंडल स्तोत्र समय यंत्र को मंत्रित कर देंगे । सम्भवत् मुनिराजका भी तात्कालिक जोग न मिल सके तो फिर नवपदजी महाराजकी पूजा कराई जावे जिसमे सिद्धचक्र मंडल के पास ऋषिमंडल यंत्र की स्थापना कर पूजा पक्षाल करावे, और बाद में मंत्र को पूजन में रख नित्य पूजा किया करे, और जब कभी प्रतिष्ठा का मौका मिले तब यंत्र की प्रतिष्ठा अवश्य करा लेना चाहिए। यंत्र को निज के मकान में रख पूजा करना बहुत श्रेष्ट बताया गया है । यदि निज के रहने के निवास स्थान में शुद्धमान जगह अथवा एकान्त आवास जैसी सुविधा न हो तो फिर यंत्र को मंदिर में रख कर नित्य पक्षाल पूजन किया करे, एसा नित्य प्रति करने से फलदाई होगा और जहां तक हो सके पूजा अष्टद्रव्य से करना चाहिए । अब यंत्र को लिखने की तरकीब बताई जाती है सो ध्यान देकर समझ लेवे । जब गोलाकार पतडा तैयार हो जाय या चौकोर पतडा रखना हो तो भी रख सकते हैं जिसको इन दोनों आकार में से जिस आकार का पसंद हो तैयार करा लेने बाद उस के मध्य भाग में पाँच अंगुल लम्बा चौडा गोलाकार चक्र बनावे और उस गोलाकार चक्रमे " ही " दोहरी लकीर वाला लिखे, दोहरी लकीरें इस तरह से बनाई जावे कि जिनके बीच में चौबीस जिन भगवान के नाम आसानी से लिख सकें । इस तरह " ह्रीँ " जब लिख लिया जाय तो फिर नाम लिखने की शुरुआत इस तरीके पर करे । For Private and Personal Use Only

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