Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि मंडल यंत्र बनानेकी तरकीब ३५ लिखनेकी कलम अथवा निब सोनेका होतोअत्युत्तम है यदि एसी कलम न मिल सके तो बरुकी कलमसे लिखनाचाहिए। लोहेके निब-टांकसे नही लिखना चाहिए और जिस कलमसे लिखा जाय वह बिलकुल नई होनी चाहिए। यंत्र जब तैयार हो जाय तब शुद्धताके लिये ठीक तरह उसका मिलान करलेना चाहिए ताकि हस्व दीर्घ अनुस्वार आदिकी अशुद्धता न रहने पावे । जब निश्चय हो जाय कि यंत्र यथा विधि अनुसार लिखा गया है और किसी प्रकारकी अशुद्धता नही है, एसा निश्चय हो जाने बाद यंत्रके उपर जो अक्षर पंक्ति लिखी गई है उसे मेखसे या टांकलेसे या और कोई अणीदार औजार हो उससे खोद लेवे और एकसा स्पष्ट अक्षर दिखाई दे सके उस तरह तैयार कर लेवे औजार जहां तक हो सके तांबेका लिया जाय यदि एसा न मिल सके तो लोहेका नया औजार काममे लेना चाहिए, इस तरह जब यंत्र शुद्धमान तैयार हो जाय और किसी तरहकी भूल उसमें न रहे तो फिर यंत्रको पूजने योग्य बनानेके हेतु यातो किसी जगह प्रतिष्ठा होती हो वहा लेजाकर या स्वयं खर्च कर प्रतिष्ठित करालेवे यदि दोनों बातोंमेंसे एकभी न हो सके और साधन करनेकी जल्दी हो तो आत्मार्थी योग्य मुनि महाराजके पास ले जाकर वासक्षेप प्रक्षेप करा लेवे। मुनिराज यदि मंत्र शास्त्रमें निपुण होंगे तो वासक्षेप डालते For Private and Personal Use Only

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