Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि मंडल-स्तोत्र आद्यंताक्षरसंलक्ष्यमक्षरं, व्याप्य यस्थितं ॥ अग्निज्वालासमं नाद बिन्दुरेखासमन्वितं ॥ १ ॥ अग्निज्वालासमाक्रान्तं-मनोमलविशोधकं ॥ देदीप्यमानं हृत्पने, तत्पदं नौमिनिर्मलं ॥२॥ अर्हमित्यक्षरं ब्रह्मवाचकं परमेष्ठिनः ॥ सिद्धचक्रस्य सदबीज-सर्वतः प्रणिदध्महे ॥३॥ ॐ नमोर्हद्भ्य ईशेभ्यः ॐ सिद्धेभ्यो नमोनमः ॐ नमःसर्वसूरिभ्यः उपाध्यायेभ्य ॐ नमः ॥४॥ ॐ नमः सर्व साधुभ्यः ॐज्ञानेभ्यो नमोनमः॥ ॐ नमःस्तत्वदृष्टिभ्यश्चारित्रेभ्यस्तु-ॐ नमः ॥५॥ श्रेयसेस्तु श्रियेस्त्वेतदर्हदाद्यष्टकं शुभं ॥ स्थानेष्वष्टसु विन्यस्तं, पृथग्बीज समन्वितं ॥६॥ आद्यं पदं शिखां रक्षेत्, परं रक्षतु मस्तके ॥ तृतीयं रक्षेन्नेत्रे द्वे,-तुर्यं रक्षेच्च नासिकां ॥ ७॥ For Private and Personal Use Only

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