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स्तोत्र-मंत्र-महिमा
इस तरह पूर्वाचार्योने निजका ज्ञान प्रगट करनेमें किसी तरहकी कमी नही की। इसी तरह (१) भक्तामर स्तोत्र, (२) कल्याण मंदिर स्तोत्र, (३) तिजय पहुत. (४) उवसग्गहर, (५) ऋषिमंडल, आदि सैकडो स्तोत्रोंके रचियता जैनाचार्य हैं। एसे स्तोत्रोंमें गर्भित कई प्रकारके मंत्र-यंत्र बताये गये हैं जिनकी महिमा पारावार हैं। इसके अतिरिक्त
और भी मंत्र महिमाके कई उदाहरण मिल सकते हैं। ___ आराधक पुरुषको साधन करनेसे पहले साधककी योग्यता प्राप्त करना चाहिये,क्यों की योग्यतासे अधिकार बढता है, अधिकार वढनेसे आत्मगुणकी तरफ लक्ष जाता है, और आत्मनिष्ठा बढनेसे सत्य संयमका भण्डार बन जाता है, फिर मंत्रसिद्ध करनेमें विशेष विलम्ब नही होता और साधक पुरुषकी साध्यदृष्टि सिद्ध हो जाती है ।
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