Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal
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ऋषि मंडल-स्तोत्र पंचमं तु मुखं रक्षेत्,-षष्टं रक्षेच्च घंटिकां ॥ नाभ्यंतं सप्तमं रक्षेद्रक्षेत् पादांतमष्टमं ॥८॥ पूर्वप्रणवतः सांत सरेको लब्धिपंचखान् ॥ सप्ताष्टदशसूर्यकान्-श्रितो बिन्दुस्वरान् पृथक् ॥९॥ पूज्यनामाक्षरा आद्याः-पंचातोज्ञानदर्शनः ॥ चारित्रेभ्यो नमोमध्ये, हीसांतः समलं कृतः॥१०॥ ॐ हूँा ही हूँ हूँ है है हौ हूँ: अ सिआउ सा॥ सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्रेभ्यो नमः (मूलमंत्र) जम्बूवृक्षधरोद्वीपः-क्षारोदधिसमावृतः ॥ अर्हदाद्यष्टकैरष्ट काष्ठाधिष्ठेरलंकृतः ॥११॥ तन्मध्यसंगतो मेरुः, कूटलक्षैरलंकृतः, ॥ उच्चैरुच्चस्तरस्तार, स्तारामंडलमंडितः ॥ १२॥ तस्योपरि सकारांतं,-बीजमध्यास्य सर्वगं ॥ नमामि बिंबमार्फत्यं, ललाटस्थं निरंजनं ॥ १३ ॥ अक्षयं निर्मलं शांतं, बहुलं जाङ्यतोज्झितं ॥ . निरीहं निरहङ्कारं, सारं सारतरं घनं ॥१४॥
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